पानीपुरी, पुचका, गोलगप्पा, बताशे, पानी बताशे, पताशा, गुपचुप, Waterballs! नाम अनेक. स्वाद अनेक. लेकिन, खाने के बाद जो भाव टेस्ट बड्स (Taste buds) में आते हैं वो एक है!
छोटी-छोटी पुरियों में भरे आलु, मटर या कुछ और. अलग-अलग तरह के फ़्लेवर का पानी. पूरे देश का फ़ेवरेट है पानीपुरी. जो कहे उसे पानीपुरी पसंद नहीं, उससे दोस्ती तोड़ ही लेनी चाहिए! अरे चॉइस लौकी-टिंडे में होती है, पानीपुरी सबकी पसंदीदा होती ही है, होनी चाहिए! हां हमने मीठा पानी, खट्टा-मीठा पानी पसंद करने वालों को भी जगह दे दी है (वैसे निजी तौर पर पानीपुरी तीखी और खट्टी ही अच्छी लगती है)
भारतीय स्ट्रीट फ़ूड की दुनिया तो अनंत है लेकिन पानीपुरी शीर्ष पर ही है. कोई चाहे कुछ भी कहे पानीपुरी सुप्रिमेसी पर हम बातें करेंगे ही! और हां सड़क किनारे लगे ठेले या रेड़ी की पानीपुरी ज़्यादा स्वादिष्ट होती है, ग्लव्स और ट्रे और फलाना-ढिमकाना वाला सिस्टम नहीं.
आख़िर पहली बार पानीपुरी बनाकर हम सबका उद्धार किसने किया था? कुछ लोग कहत हैं मगध साम्राज्य तो कुछ देते हैं द्रौपदी को श्रेय
प्राचीन भारत के 16 महाजनपद में से एक था मगध साम्राज्य, जिसकी राजधानी थी पाटलीपुत्र. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पानापुरी सबसे पहले मगध काल में बनाई गई थी. ये उसी दौर में बनाया गया था जब कतरनी चावल से चूड़ा, तिलुआ, लिट्टी चोखा आदि बनाए जा रहे थे. जिस बुद्धीमान खानसामे ने पानीपुरी बनाई उसका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है. ग़ौरतलब है कि अगर हमें पता होता वो कौन है तो पानीपुरी की रेड़ियों पर उसके पोस्टर ज़रूर होते!
महाभारत से जुड़ा है पानीपुरी का इतिहास?
महाभारत काल से भी कुछ फ़ूड हिस्टोरियन्स (Food Historians) पानीपुरी को जोड़कर देखते हैं. कहते हैं कि नववधू, द्रौपदी को उसकी सास यानी कुन्ती ने एक काम सौंपा था. पांडव वनवास भोग रहे थे और कुन्ती अपनी बहू की परीक्षा लेना चाहती थी कि कम सामग्री में वो घर कैसे चलाती है.
कुन्ती ने द्रौपदी को बची हुई आलु की सब्ज़ी और सिर्फ़ एक पुरी बनाने जितनी आटे की लोई दी. इसके साथ ही कुन्ती ने द्रौपदी को निर्देश दिया कि उसे कुछ ऐसा बनाना है जिससे पांचों पांडव की भूख शांत हो. कहते हैं इस परीक्षा का ही उत्तर था-पानीपुरी.
कुन्ती को पानीपुरी का स्वाद इतना अच्छा लगा कि उसने इस व्यंजन को अमरता का आशीर्वाद दे दिया.
जैसा कि लगभग हर व्यंजन के साथ होता है, पानीपुरी के इतिहास को लेकर भी इतिहासकारों में मतांतर है. जो एक बात बिल्कुल सच्ची है वो ये कि इस डिश का आविष्कार भारत में ही हुआ था और भारत के कोने-कोने में आज भी इसे उतना ही प्यार दिया जाता है. उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम में पानीपुरी के कई नाम हैं- होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में पानापुरी टिक्की बन जाती है, जबकि उत्तर भारत में टिक्की एक किस्म की चाट है.
अब लेख पढ़कर मुंह में पानी आ ही गया हो, जाइए खा लीजिए. अपने फ़ेवरेट पानीपुरी स्टॉल की फ़ोटो, पानीपुरी से जुड़े कुछ किस्से हों तो कमेंट बॉक्स में बताइए.