पिता चल बसे, बेटा उनका सपना पूरा करने के लिए पहले परीक्षा देने गया, फिर लौटकर किया अंतिम संस्कार 3 मिनट रीड

मध्य प्रदेश के देवास जिले के 12वीं के एक छात्र की पढ़ाई के प्रति लगन ने उस समय लोगों को भावुक कर दिया, जब अपने पिता के अंतिम संस्कार से पहले इस छात्र ने परीक्षा देने का फैसला किया । छात्र के पिता कि हार्ट अटैक से मौत हो गई, ऐसे में उसका पहला फर्ज था कि वो अपने पिता का अंतिम संस्कार करे लेकिन उसने पहले परीक्षा देने का फैसला किया ।

पहले परीक्षा दी फिर किया पिता का अंतिम संस्कार

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ये फैसला भी उस छात्र ने अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए किया था । छात्र ने बताया कि वह भारी मन से परीक्षा देने गया था. उसके पिता का ये सपना था कि वह खूब पढ़े लिखे और पिता को खोने के बाद वो किसी कीमत पर उनका सपना नहीं टूटने देना चाहता । उसने बताया कि पूरा परिवार शिक्षा को बहुत महत्व देता है. इसलिए परीक्षा किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ सकते थे.

पिता का सपना नहीं टूटने देना चाहते देवेंद्र

dewas son completed fathers last rights after His examTwitter

आवास नगर में रहने वाले देवेंद्र नामक इस छात्र के पिता जगदीश सोलंकी देवास नगर निगम में प्रभारी सहायक राजस्व निरीक्षक थे. देवेंद्र चार बहनों का इकलौता भार है. उनकी चारों बहनों की शादी हो चुकी है. देवेंद्र फिलहाल माउंट हायर सेकंडरी स्कूल में गणित विषय से 12वीं कर रहा है. 1 मार्च को देवेंद्र के पिता जगदीश सोलंकी का हार्ट अटैक से निधन हो गया ।

हार्ट अटैक आने के बाद देवेंद्र के पिता की तबीयत बिगड़ने लगी. उन्होंने देखा कि पिता का शरीर किसी भी तरह की हरकत नहीं कर रहा. वह पिता को लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अगले दिन देवेंद्र का हिंदी विषय का पेपर था. उसने रात भर पढ़ाई की थी. घर में एक तरफ उसके पिता का शव रखा हुआ था, तो दूसरी तरफ उसकी परीक्षा का समय हो रहा था.

परीक्षा नहीं छोड़ सकता था

इस कठिन परिस्थिति में देवेंद्र ने परीक्षा देने का फैसला किया. वह किसी तरह परीक्षा हॉल पहुंचे और उन्होंने परीक्षा दी. उन्होंने बताया कि पिता का देहांत हो गया, लेकिन परीक्षा देना उनका धर्म था. उन्होंने कहा कि मैं बता नहीं सकता मन कितना भारी है. लेकिन परीक्षा नहीं छोड़ सकते थे. देवेंद्र ने कहा कि पिता की भी इच्छा थी कि मैं बहुत आगे तक पढ़ाई करूं और अच्छी सरकारी नौकरी में जाऊं. परिस्थिति चाहे कैसी भी हो बच्चों को सबसे पहले पढ़ाई पर ही ध्यान देना चाहिए.

पढ़ाई के प्रति देवेंद्र की इस सच्ची लगन ने सभी को प्रभावित कर दिया है । देवेंद्र को परीक्षा केंद्र अध्यक्ष ने नियमों के मुताबिक 2 घंटे बाद ही केंद्र से जाने दिया. केंद्र अध्यक्ष का कहना था कि उन्हें ये जानकारी थी कि देवेंद्र और उनके परिवार पर कितना बड़ा दुखों का पहाड़ टूटा है लेकिन वे नियम नहीं तोड़ सकते थे. इसके साथ ही केंद्र अध्यक्ष ने कहा कि देवेंद्र ने देश के सामने मिसाल पेश की है.