परिवार में कलेश और माता पिता के बीच कहा सुनी के चलते कई बच्चों लो परवरिश अच्छे से नहीं हो पाती हैं। कुछ बच्चे तो अपने घर से ही बेदखल कर दिए होते हैं। ऐसा भारत के हर शहर और गाँव में देखने सुनने को मिलता रहता हैं। इन सब मामलों के बीच बच्चे स्कूल में फेल हो जाते थे या पढ़ ही नहीं पाते। कभी कभी तो गलत कामों में लिप्त हो जाते हैं। ऐसा आजकल बहुत देखने को मिल रहा है, जो स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
इनमें से कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें अपनी गलती का एहसास होता है और अपने भविष्य की चिंता होती है। वे विषम परिस्थितियों का सामना कर करते हुए अच्छी लाइफ पाने की राह चुनते हैं। अपनी पिछली गलतियों से सीखकर कुछ ऐसा करते हैं, जो उनके जीवन को सही और सफलता की राह पर ले जाता है। यहाँ आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताया हां रहा है। जिसकी सफलता की कहानी आपको प्रेरित करेगी।
विमल पटेल का जीवन संघर्ष भरा रहा
गुजरात के आणंद के विमल पटेल (Vimal Patel) का जीवन संघर्ष भरा रहा। स्कूल में वे बधाई में अच्छे नहीं थे। स्कूल में 7वीं फेल होने के बाद उसके साथ बुरा व्यवहार किया गया और घर से निकाल दिया गया था। वह घर छोड़कर मुंबई आ गया और अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश में लग गए। एक जगह उन्होंने काम पा लिया, जहाँ उन्हें महीने का 4000 रुपये वेतन मिलता था। इसी पैसों से उनका जीवन चला।
पिता से रत्नों की पॉलिशिंग सीखी
विमल ने एक अख़बार को बताया की “स्कूल के बाद मैं दोस्तों के साथ बाहर जाता था। इस दौरान मैंने अपने पिता से रत्नों की पॉलिशिंग सीखी थी। पिताजी का काम बिना कटे हीरों पर पॉलिश करने का था। एक दिन घर के बाज़ू में रहने वाले एक 20 साल के शख्स का आपस में विवाद हो गया। मैंने उसे जोर से मारा। मेरे पिता उस दिन इतने गुस्से में थे कि उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया।” एक तो वे 7वी में भी फ़ैल हो गए थे।
डायमंड पॉलिशिंग फैक्ट्री में काम करना शुरू किया
विमल के जीवन का संघर्ष 1996 में शुरू हुआ, जब उन्हें घर से निकाल दिया गया, लेकिन इस दौरान उनके पिता से सीखी गई पॉलिशिंग का काम उन्हें काम दिलवाने और आजीविका चलने में मदतगार रहा। उन्होंने मुंबई के चिरा बाजार में डायमंड पॉलिशिंग फैक्ट्री में काम करना शुरू किया। ऐसा करने से उसकी स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं होने वाली थी। चार हजार रुपये तो खर्च जीने खाने में खर्च हो जाते थे।
विमल के कुछ दोस्त कच्चे हीरों और रत्नों के लिए दलाली का काम करते थे और बदले में कमीशन कमाते थे। करीब एक साल तक मजदूर के रूप में काम करने के बाद, विमल ने 1997 में अपने मित्रों के साथ काम करना शुरू किया और मार्च 1998 में व्यवसाय के सभी गुण सीखने के बाद अपना खुद का बिजनेस शुरू किया। ऐसा करके वे हर दिन के 1000 से 2000 रुपये कमाने लगे।
कुछ भाइयों की सहायता से कंपनी शुरू की
उन्होंने मुंबई के आप पास के क्षेत्रों में एंट्री ली और 1999 में 50,000 रुपये की बचत के साथ विमल जेम्स (Vimal Gems) नाम की एक कंपनी शुरू की। आरम्भ में उन्होंने अपने ही कुछ भाइयों की सहायता से कंपनी चलाना शुरू की और 2000 के अंत में उनकी कंपनी ने कुछ लोगों की मदद से 15 लाख रुपये का कारोबार कर लिया।
2001 का साल विमल के लिए सही नहीं रहा। उसके साथ काम करने वाला एक कर्मचारी एक व्यापारी के पास से 29 लाख रुपये के हीरे-जेवरात लेकर भाग गया। विमल को अपना सारा निवेश बेचना पड़ा और उस व्यापारी के नुकसान के पैसे चुकाने पड़े। उन्हें बहुत नुक्सान हो गया। अब उन्हें पास कुछ ना बचा। वे धीरे धीरे फिर काम करने लगे, लेकिन 2008 की मंदी ने उन्हें एक फिर मुश्किल में डाल दिया।
उन्होंने मंदी का सामना करने के लिए रिटेल की दुनिया में एंट्री ली। फिर साल 2009 में, उन्होंने जलगाँव (Jalgaon) में अपनी पहली ज्वैलरी की दुकान खोली (Jewellery Shop) और एक ज्योतिषी को भी वहीँ पर नौकरी दी। उनका प्लान था कि स्ट्रॉलर की मदद से ग्राहक अपने लिए सही रत्न (Gemstone) चुनकर उसे पहन सकते हैं। यह बिजनेस प्लान (Suwarnsparsh Gems and Jewellery Limited) कामयाब रहा और पहले ही दिन लाखों रुपये की बिक्री हुई।
आज पूरे महाराष्ट्र में उनकी 52 दुकानें हैं और 550 से अधिक लोगो को उन्होंने रोजगार दिया हुआ हैं। उनकी कंपनी (Suwarnsparsh Group) का टर्नओवर 50 करोड़ रुपए (50 crore Ru business) से ज्यादा है। विमान की पॉजिटिव सोच और संघर्ष हमें कभी निराश ना होने और सही राह पर मेहनत करने की प्रेरणा देता है।