प्रदेश सरकार लोगों को उत्तम गुणवत्ता की दवाएं उपलब्ध करवाने के लिए कृतसंकल्प है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जहां दवा उद्योग के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया अपनाई गई है वहीं दवा नियंत्रकों के माध्यम से प्रदेश में उत्पादित की जा रही दवाओं की गुणवत्ता का नियमित अनुश्रवण किया जा रहा है। यह जानकारी आज उप दवा नियंत्रक बद्दी मनीष कपूर ने दी।
मनीष कपूर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को दवा उद्योग का हब माना जाता है और सोलन जिला के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ क्षेत्र में प्रदेश की अधिकांश दवाओं का उत्पादन होता है। विभिन्न नियमों एवं मानक परिचालन प्रक्रिया के माध्यम से प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित बना रही है कि राज्य में उत्पादित दवाओं की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल दवा उत्पादन का 33 प्रतिशत उत्पादित किया जा रहा है। इन सभी दवा निर्माता कंपनियों का समय-समय पर दवा गुणवत्ता के लिए औचक निरीक्षण किया जाता है।
उप दवा नियंत्रक ने कहा कि दवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से नियमित रूप से क्षेत्र में दवाओं के नमूने एकत्र किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देश तथा केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के नियमों के अनुसार अप्रैल 2019 से मार्च, 2020 की अवधि में देश में निर्मित होने वाली दवाओं के 13610 नमूने एकत्र किए गए। परीक्षण के उपरांत इनमें से 398 नमूने मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए। उन्होंने कहा कि इन 398 दवा नमूनों में से 82 नमूने हिमाचल प्रदेश में स्थापित दवा कंपनियों के थे।
मनीष कपूर ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में विभाग ने मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए 82 नमूनों के लिए कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए। इनमें से 72 मामलों में इन दवाआंे के उत्पादन के लिए विभाग द्वारा लाईसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। 01 मामले में उत्पादन अनुमति का लाईसेंस रद्द कर दिया गया है। 04 मामलों में उत्पाद का पुनः परीक्षण किया जाना है। उन्होंने कहा कि 04 अन्य मामलों में विभाग द्वारा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 01 कंपनी ने उत्पादन बंद कर दिया है।
उप दवा नियंत्रक ने कहा कि निरीक्षण कर्मियांे को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर दवा उत्पादन कंपनियों का निरीक्षण करते रहें। ऐसी दवा कंपनियों पर विशेष ध्यान दिया जाए जिनकी दवाओं के नमूने मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में 123 दवाओं के नमूने गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए थे। जबकि इस वर्ष यह संख्या घटकर 82 हो गई है। यह सुनिश्चित बनाया जा रहा है कि सभी दवाओं की गुणवत्ता मानक अनुरूप हो। उन्होंने कहा कि दवाओं की गुणवत्ता में कमी उचित भण्डारण क्षमताओं का न होना भी हो सकती है। इस दिशा में भी समुचित पग उठाए जा रहे हैं।
2020-06-18