फर्जी डिग्री मामले में अब मानव भारती विश्वविद्यालय की मुश्किलें और बढ़ गई है…हाईकोर्ट ने आरोपी मानव भारती विवि के चांसलर राज कुमार राणा की अग्रिम जमानत रद्द करते हुए इस यूनिवर्सिटी का फोरेंसिक ऑडिट करवाने का आदेश जारी किया है…राज्य सरकार को यह आदेश दिए हैं…यह हाईकोर्ट का ऐतिहासिक आदेश है…इससे पहले फर्जीवाड़े और घोटाले के मामले पर हिमाचल में इस तरह के आदेश नहीं दिए गए हैं.. अनुप चितकारा ने ये आदेश दिए…जिस पर सरकार को जल्द फैसला लेना है…इस ऑडिट में और बड़े खुलासे होने की पूरी पूरी उम्मीद है…आदेश में सख्त टिप्पणी की गई है और कहा है कि इस गंभीर मामले पर कोर्ट अपनी आंखे बंद नहीं कर सकता…दरअसल इस तरह के ऑडिट में विवि के सभी कम्प्यूटर की फोरेंसिक जांच की जाएगी…अगर डाटा डिलीट किया गया है या सिस्टम को फोरमेट किया गया है,उसको रिकवर किया जाएगा…आज तक कितनी एडमिश्न हुई, किस किस को डिग्री दी गई…पैसों के लेन-देन का कोई रिकार्ड है या बैंक संबंधी कोई रिकार्ड है तो वो भी सामने आएगा..डिग्री कहां और कब प्रिंट की गई है इसकी जानकारी मिलने की भी उम्मीद है….आपको बता दें कि अग्रिम जमानत रद्द होते ही राजकुमार राणा को गिरफ्तार किया गया था…इस मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी है…आरोपी फिलहाल पुलिस रिमांड पर है…कल उसे सोलन कोर्ट में पेश किया जाएगा…पूरे मामले की बात करें तो News 18 ने फरवरी माह में ही इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया था…उसके बाद एक महिला सामने आई थी जिसकी शिकायत पर सोलन के धर्मपुर थाने में मार्च महीने में FIR दर्ज की गई थी…होईकोर्ट ने 19 जून को फोरेंसिक ऑडिट के आदेश जारी किए हैं…उन आदेशों की कॉपी अब मिल चुकी है…5 पन्नों के आदेश में विस्तार से मामले के बारे में पता चला है..जो तथ्य अदालत में पेश किए गए उसके तहत मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ फर्जी डिग्री बेचने के आरोपों पर 8 मार्च 2020 को IPC की धारा 420,467,468,471 और 120-B के तहत सोलन के धर्मपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था..FIR का जो सार है उसके मुताबिक निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के सचिव ने 16 अगस्त 2017 को हिमाचल के डीजीपी को एक शिकायत पत्र दिया था जिसमें मानव भारती यूनिवर्सिटी की 103 डिग्री/डिप्लोमा की जांच करने की बात कही थी…शिकायत पत्र में लिखा था कि उच्चतर शिक्षा निदेशालय से 06 जनवरी 2017 को एक अर्जी आई थी जिसमें इन डिग्री/डिप्लोमा की वैरिफिकेशन करवाने को कहा था…जिसको लेकर मानव भारती विवि के रजिस्ट्रार से जबाव मांगा गया था…10 मार्च 2017 को विवि की ओर से जबाव आया कि यह 103 डिग्री/डिप्लोमा विवि ने जारी नहीं की है…आयोग ने जब खुद छानबीन की तो प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी नजर आई..ऐसा पाया गया कि यह डिग्रियां इसी विवि ने जारी की है…इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है….सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि राज कुमार राणा केवल चांसलर हैं….डिग्रियों को लेकर वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन और अन्य प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेवार होते हैं….इस पर आपत्ति जताते हुए सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा ने दलील दी कि तथ्यों के मुताबिक मानव भारती ट्रस्ट ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की है….आरोपी राज कुमार राणा न केवल ट्रस्टी हैं बल्कि ट्रस्ट के चैयरमेन भी हैं…दूसरे ट्रस्टी उनकी पत्नी और ससुर हैं…..आरोपी चांसलर भी हैं और इस लिहाज पूरे मामले में आरोपी की भूमिका नजर आ रही है….फर्जी डिग्री की वजह से बहुतों को नौकरी मिली होगी, योग्य लोग बाहर हो गए होंगे….आरोपी की कस्टोडियल इन्वेस्टिगेशन जरूरी है…इस मामले में गिरफ्तार किए गए विवि के कर्मचारी प्रमोद ने पूछताछ में 1500 फर्जी डिग्री का खुलासा किया था…कुछ मोहरें और अन्य सामग्री का भी जिक्र आया….राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित माधव यूनिवर्सिटी से तार जुड़े थे…जांच में पता चला था कि माधव यूनिवर्सिटी का Wholly Solly राज कुमार राणा ही है…मिलीभगत साफ तौर पर झलक रही है…यह भी पता चला कि अन्य आरोपी कृष्ण कुमार समेत अन्य कर्मियों और काली भेड़ों को जानबूझकर नौकरी पर बरकरार रखा गया ताकि फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा सके…इस बड़े स्तर के फर्जीवाड़े को तार्किक अंजाम तक पहुंचाने के लिए आरोपी से पूछताछ जरूरी है…आरोपी पक्ष की तरफ से कई दलीलें दी गई कि वो जांच में सहयोग कर रहा है…पुलिस की ओर से दायर जबाव में यह साफ था कि किसी भी तरह का सहयोग नहीं किया..उससे गहन पूछताछ होना जरूरी है…लॉकडॉउन के चलते जांच की गति धीमी भी हुई…दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने यह ऐतिहासिक आदेश जारी किया…आपको ये भी बता दें कि इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच के लिए डीजीपी ने मार्च में एसपी सोलन अभिषेक यादव की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया है जिसमें एएसपी शिव कुमार समेत अन्य अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं…इस मामले में अब तक 3 FIR दर्ज की गई है और 5 लोग गिरफ्तार किए गए हैं…राज कुमार राणा से पहले विवि के रजिस्ट्रार अनुपम ठाकुर, कर्मचारी मनीष गोयल, प्रमोद और पूर्व रजिस्ट्रार के.के. सिंह को गिरफ्तार किया गया है…5 मार्च से लेकर 25 मार्च तक विवि में लगातार छापेमारी की गई…पुलिस के आला अधिकारियों समेत करीब 150 कर्मी दिन-रात जांच में जुटे रहे…भारी मात्रा में दस्तावेज जब्त किए गए हैं….ऐसा नजर आ रहा है कि रैकेट बहुत बड़ा है…देश के कोने-कोने में फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं…बहुत लोगों के जुड़े होने की आशंका है…जांच अंजाम तक पहुंची तो कई लोगों की नौकरी जाने की संभावना है….यूजीसी को लिखे गए शिकायत पत्र में तो लाखों फर्जी डिग्री की बात कही गई थी..इस आदेश को पूर्व DGP आईडी भंडारी ने सराहनीय और ऐतिहासिक करार दिया .उन्होंने कहा कि फर्जीवाड़े और घोटाले के मामले में इस तरह का यह पहला आदेश है…अदालत ने एक उदाहरण पेश किया है…सरकार और पुलिस को चाहिए कि वो भी फोरेंसिक ऑडिट को जांच में शामिल करे …
2020-06-21