सालों पहले बिछड़े दो भाइयों की कहानी इस समय सोशल मीडिया के यूजर्स को इमोशनल कर रही है. दरअसल, ये दोनों भाई साल 1947 के बंटवारे में एक दूसरे से बिछड़ गए थे. अब 75 साल बाद सोशल मीडिया की मदद से इन दोनों भाइयों के परिवार मिल पाए हैं. इनके परिवार करतारपुर गलियारे के जरिये मिले. 75 साल बाद मिले इन दोनों भाइयों के परिवारों को गीत गाते और एक-दूसरे पर फूल बरसाते देख वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए.
देश के बंटवारे ने कर दिया था दो भाइयों को अलग
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ये कहानी है गुरदेव सिंह और दया सिंह की, जो बंटवारे से पहले हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के गोमला गांव में रहते थे. जब इनके पिता का देहांत हुआ तो दोनों अपने पिता के एक दोस्त करीम बख्श के घर रहने लगे. इन दोनों भाइयों में गुरदेव सिंह बड़े थे और दया सिंह छोटे हैं. जब देश का बंटवारा हुआ तो करीम बख्श बड़े भाई गुरदेव सिंह को अपने साथ पाकिस्तान ले गए और छोटे भाई दया सिंह अपने मामा के साथ भारत में ही रह गए.
गुरदेव सिंह बन गए गुलाम मोहम्मद
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पाकिस्तान पहुंच कर गुरदेव सिंह करीम बख्श के साथ लाहौर से लगभग 200 किमी दूर पंजाब प्रांत के झांग जिले में जाकर बस गए. यहां रहते हुए गुरदेव सिंह, गुलाम मोहम्मद हो गए. उन्होंने अपने बेटे का नाम मोहम्मद शरीफ रखा. भले ही गुरदेव अब पाकिस्तान के गुलाम मोहम्मद हो गए थे लेकिन उनके बन से अपने भाई दया सिंह का प्यार नहीं मिट पाया था. अपने भाई से फिल मिल पाने की उम्मीद में गुरदेव सिंह ने भारत सरकार को कई चिट्ठियां लिखकर उन्हें ढूंढने की अपील की.
भाई से मिलने का सपना लिए चले गए दुनिया से
बहुत साल बीतने के बाद सोशल मीडिया ने वो काम कर दिया जो सरकार नहीं कर पाई लेकिन अफसोस अपना सपना पूरा होता देखने से पहले ही गुरदेव सिंह उर्फ गुलाम मोहम्मद इस दुनिया को अलविदा कह गए. वो तो अपने छोटे भाई दया सिंह से ना मिल सके लेकिन उनके बेटे मुहम्मद शरीफ अपने पिता के सपने को पूरा किया.
बेटे ने पूरा किया सपना
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उन्होंने बताया कि छह महीने पहले वे लोग अपने चाचा दया सिंह को सोशल मीडिया की मदद से ढूंढने में कामयाब रहे. उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों ने पुनर्मिलन के लिए श्री करतारपुर साहिब पहुंचने का फैसला किया. दोनों भाइयों के परिवार जब आपस में मिले तो एक दूसरे पर फूल बरसाते हुए, गीत भी गाए. मुहम्मद शरीफ ने भारत सरकार से आग्रह किया कि उनके परिवार के सदस्यों को यहां वीजा दिया जाए ताकि वे हरियाणा में अपने पुश्तैनी घर जा सकें. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अपने भाई दया सिंह से मिलने
बता दें कि पिछले साल जनवरी 2022 में भी बंटवारे के दौरान बिछड़े दो भाई पाकिस्तान के 80 वर्षीय मुहम्मद सिद्दीकी और भारत के 78 वर्षीय हबीब करतारपुर कॉरिडोर में मिले थे. गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब दुनिया का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है, जो भारत-पाकिस्तान सीमा से 5 किमी की दूरी पर स्थित है. गुरुद्वारा उस जगह पर मौजूद है, जहां सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी रुके थे. करतारपुर कॉरिडोर एक वीजा-मुक्त धार्मिक जगह है, जो पाकिस्तान में गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब और भारत में गुरुद्वारा श्री डेरा बाबा नानक को जोड़ता है.