पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में ज्यादातर गुलदार देखने को मिलते हैं. दरअसल तेंदुए को ही पहाड़ों में गुलदार कहा जाता है. गुलदार अपनी फुर्ती और पलक झपकते ही शिकार करने की महारत के लिए मशहूर है. तेंदुए रिहायशी इलाकों में ज्यादातर कुत्तों का शिकार करने के लिए घुसते हैं. वहीं पहाड़ों में बाघ न के बराबर दिखते हैं. भारी शरीर की वजह से इनके लिए पहाड़ों पर चढ़ना थोड़ा मुश्किल होता है. कुमाऊं की बात करें तो रामनगर स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क और इससे लगती रेंज में ही बाघों का बसेरा है. करीब 521 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस पार्क में करीब 231 बाघ हैं.
शारीरिक बनावट की बात करें तो तेंदुआ बाघ से छोटा होता है. एक बाघ का वजन करीब 200 किलो होता है, तो तेंदुए का वजन करीब 60 किलो होता है. बाघ की लंबाई सात फीट तक होती है. करीब तीन फीट इसकी पूंछ होती है. वहीं, गुलदार की लंबाई 5 फीट तक होती है. इसकी पूछ भी दो से तीन फीट तक होती है. शरीर के साइज से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाघ तेंदुए से काफी ज्यादा ताकतवर होता है, लेकिन फुर्ती के मामले में तेंदुआ कहीं आगे है. तेंदुआ आसानी से पेड़ पर चढ़ सकता है, लेकिन बाघ अपने भारी शरीर की वजह से पेड़ पर नहीं चढ़ पाता है.
बाघ के शरीर पर काले रंग की लंबी धारियां होती हैं, तो वहीं तेंदुए के सुनहरे शरीर पर छोटे काले गोल आकृति के निशान होते हैं. शरीर की बनावट के चलते दोनों के बीच फर्क करना बेहद आसान है. अपने शरीर के चलते ही पहाड़ों पर गुलदार का राज होता है.
बारिश में बढ़ जाता है गुलदार के हमले का खतरा
बताते चलें कि उत्तराखंड में बरसात का सीजन शुरू हो चुका है और साथ ही पहाड़ों में अब गुलदार के हमले का खतरा भी बढ़ने लगा है, क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि बरसात के दिनों में ही आबादी की तरफ गुलदार ज्यादा सक्रिय होते हैं. ऐसे में गुलदार और मानव संघर्ष को रोकने के पिथौरागढ़ जिला प्रशासन तैयारियों में जुट गया है. गुलदार से प्रभावित इलाकों में अब निगरानी कमेटी बनाई जाएगी, जो यहां गुलदारों के मूवमेंट पर नजर रखेगी.
प्रशासन ने उठाया ये कदम
प्रशासन ने ऐसे 10 इलाके नगर के आसपास चिह्नित किए हैं, जो गुलदार प्रभावित क्षेत्र है. इन इलाकों में पीआरडी जवानों की नियुक्ति के साथ ही गुलदार की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है. गुरुवार को तहसील बेरीनाग के राईआगर क्षेत्र में जंगल में घास काट रही महिला पर गुलदार के हमले की खबर मिली. महिला के सिर पर 6 टांके आए हैं. ग्रामीणों ने गुलदार से राहत दिलाने की अपील की है.
वन विभाग अधिकारी डॉ कोको रोसे ने मानव और वन्य जीव संघर्ष रोकने के अभियान के बारे में बताया है. पिछले साल पिथौरागढ़ में गुलदार के हमलों में 7 लोगों की जान गई थी.अब बरसात का सीजन है और चारों तरफ घास उग आई है, जो गुलदार के छिपकर शिकार करने के अनुकूल होती है.