हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में बना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ‘एम्स’ यहां के लोगों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं होगा। देवभूमि पर बने आयुर्विज्ञान संस्थान की अपनी कई सारी खासियतें हैं। इस पहाड़ी राज्य में कई ऐसे दूरदराज वाले इलाके भी हैं, जहां परिवहन साधन भी मुश्किल से पहुंच पाता है, वहां के लोगों को विशेष सहूलियत प्रदान की जाएगी। ब्लड सेंपल लेना हो या दवा पहुंचाना, इसके लिए ‘ड्रोन’ तकनीक का भरपूर इस्तेमाल होगा। बिलासपुर एम्स में हेलीपैड तैयार किया गया है। आपात स्थिति में इसकी मदद से मरीजों को लाया जाएगा। विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर के दूसरे सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बिलासपुर ‘एम्स’ का उद्घाटन कर सकते हैं। इसके लिए संस्थान में जोरदार तैयारी चल रही है।
एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. वीर सिंह नेगी ने अमर उजाला डॉट कॉम के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, हिमाचल का ये एम्स कई मायनों में दूसरे चिकित्सा संस्थानों से अलग होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्तूबर 2017 को एम्स की आधारशिला रखी थी। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 21 जनवरी 2019 को एम्स का भूमि पूजन किया था। उसके बाद कोरोना संक्रमण जैसी महामारी ने कहर मचा दिया। इसके बावजूद स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम सावधानियां बरतते हुए ‘एम्स’ का काम जारी रखा गया। यह परियोजना तीन चरणों में विकसित की जा रही है। वर्तमान में चरण 1 पर काम हो रहा है। इसके तहत एम्स का 750 बिस्तर वाला अस्पताल होगा, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस 15-20 सुपर स्पेशियलिटी विभाग रहेंगे। बाद के चरणों में एम्स की सुविधाओं का विस्तार इतना बढ़ जाएगा कि आसपास के राज्यों के मरीज भी बिलासपुर एम्स का रूख करेंगे। विश्वसनीय और वैश्विक स्तर की स्वास्थ्य सेवा का विस्तार करने के लिए विभिन्न सुपर स्पेशियलिटी विभाग, शुरू किए जाएंगे। पहाड़ी क्षेत्र में बना ये एम्स रिकॉर्ड समय में तैयार हुआ है। आमतौर पर मैदानी इलाकों में स्वीकृत एम्स भी इतनी त्वरित गति से उद्घाटन की दहलीज तक नहीं पहुंचते।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन तकनीक की लेंगे मदद …
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एम्स में मौजूद रहेगी 40 हजार लीटर लिक्विड ऑक्सीजन
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एम्स के साथ जुड़ना, खुद में एक गौरव की बात
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एम्स में रहेगी ‘लाइव ओटी’ की व्यवस्था
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