आज के समय में पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं की ख्वाहिश अच्छी जॉब और मोटी सैलरी हासिल कर लग्जरियस लाइफ जीने की होती है. रिस्क लेकर कुछ नया करने की हिम्मत कम लोगों में ही होती है. ऐसे दौर में एक ऐसा भी युवा है जिसने अपने करियर के लिए न सिर्फ एक अलग लीक बनाई. बल्कि कोरोना काल में सैकड़ों युवाओं के लिए एक उम्मीद बनकर उभरा. यह कहानी 22 साल के अंकित देव अर्पण की है, जोकि अपने जैसे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बनाने में जुटा है और अपने इलाके के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है.अंकित किस तरह अपने जीवन की बाधाओं को पार करते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ें और कैसे उन्होंने कोरोना काल में युवाओं को रोजगार दिलाने में मदद की? यह जानने के लिए इंडिया टाइम्स हिन्दी ने उनके साथ खास बातचीत की जिसमें अंकित ने अपना अब तक का पूरा सफ़र साझा किया है:जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र रह चुके हैं अंकितPic Credit: Ankit Dev Arpan13 सितंबर 1999 को जन्मे अंकित बातचीत की शुरुआत करते हुए बताते हैं कि वो मूलत: बिहार के चंपारण से आते हैं. पिता संजीव दुबे और माता विमल देवी ने बचपन से ही उनकी पढ़ाई पर ध्यान दिया. फलस्वरूप वो बिना किसी रुकावट के स्कूल जाने में सफल रहे. 5वीं तक की उनकी पढ़ाई स्थानीय स्कूलों से ही हुई. इसके बाद उनका चयन जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय में हो गया.
उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय, वृंदावन से की और आगे 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय, समस्तीपुर से पूरी की. नवोदय से निकलने के बाद अंकित ने आई.एम.एस नोएडा में दाखिला लिया और स्नातक की अपनी पढ़ाई शुरू कर दी.कॉलेज में फ्रीलांसरों की समस्या को गहराई से समझाPic Credit: Ankit Dev Arpanअंकित बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उनके अंदर आत्मनिर्भर बनने की इच्छा पनपी. वो अपना खर्च खुद उठाना चाहते थे. चूंकि, उनकी रुचि लिखने-पढ़ने में थी. इसलिए उन्होंने तय किया कि वो फ्रीलांस राइटिंग करेंगे. आगे उन्होंने ऐसा किया भी. इंटरनेट के माध्यम से वो काम पाने में सफल भी रहे लेकिन उनका अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा.
उन्हें काम तो मिला, मगर काम के बदले पैसे नहीं मिले. पैसे मिले भी तो वो बेहद कम थे. आगे उन्होंने इसके पीछे के कारणों को जानना शुरू किया. अपनी रिसर्च में उन्होंने पाया कि वो अकेले नहीं थे जो फ्रीलांस के नाम पर ठगी का शिकार हुए थे. देश भर में उनके जैसे तमाम युवा फ्रीलांसर्स थे जिनकी स्थिति उनके जैसी ही थी.दोस्त का साथ मिला तो 21 की उम्र में खड़ी कर दी कंपनीPic Credit: Ankit Dev Arpanबकौल अंकित एक दिन पढ़ते-पढ़ते उन्होंने तय किया कि वो फ्रीलांसर्स की समस्या के हल के लिए कुछ करेंगे. इसकी चर्चा उन्होंने अपनी दोस्त शान्या दास से की. आगे दोस्त का साथ मिला तो उन्होंने 21 की उम्र में अपनी खुद की खड़ी कर दी और उसका नाम रखा ‘दि राइटर्स कम्युनिटी’.
कोरोना काल में उन्होंने इसके जरिए घर बैठे-बैठे लोगों को जोड़ने का काम किया. शुरुआत में तमाम तरह की मुसीबतें आईं लेकिन अंकित ने अपनी दोस्त शान्या के साथ मिलकर अपनी कोशिश जारी रखी. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और लोग उनसे जुड़ने लगे. अंकित के मुताबिक मौजूदा समय में ‘द राइटर्स कम्युनिटी’ फ्रीलांसरों के लिए एक ऐसा मंच बन चुका है, जहां उन्हें फ्री प्रशिक्षण और लेखन से संबंधित काम रहा है. Unacademy, Byjus, ParikshaAdda और Embibe, जैसी तमाम कंपनियों में उनकी मदद से फ्रीलांसर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं और आर्थिक लाभ ले रहे हैं.400 से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के अवसर दिएPic Credit: Ankit Dev Arpanअंकित का दावा है कि वो अब तक 400 से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर चुके हैं. उनके जरिए फ्रीलांसर्स को स्क्रिप्ट राइटिंग, रिव्यु राइटिंग, वीडियो एडिटिंग जैसे कई काम करने को मिल रहे हैं. वो छात्रों के प्रशिक्षण पर ज्यादा जोर दे रही है. परिणाम स्वरूप विभिन्न कॉलेजों के छात्र इंटर्न के रूप में जुड़ रहे हैं.
बता दें, अंकित ‘ग्लोबी अवार्ड्स’ के छठे वार्षिक व्यापार उत्कृष्टता पुरस्कार की सूची में घर बैठे काम करने की व्यवस्था के कुशल कार्यान्वयन हेतु ‘सिल्वर ग्लोबी अवार्ड’ से सम्मानित किए जा चुके हैं. अंकित अपने पुराने वक्त को याद करते हुए बताते हैं कि एक समय था, जब उन्हें कोई नहीं पहचानता था. मगर आज पूरा इलाका उन्हें पहचानता है. सोशल मीडिया पर कई युवाओं ने उन्हें अपना मेंटर बना लिया है.
उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय, वृंदावन से की और आगे 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय, समस्तीपुर से पूरी की. नवोदय से निकलने के बाद अंकित ने आई.एम.एस नोएडा में दाखिला लिया और स्नातक की अपनी पढ़ाई शुरू कर दी.कॉलेज में फ्रीलांसरों की समस्या को गहराई से समझाPic Credit: Ankit Dev Arpanअंकित बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उनके अंदर आत्मनिर्भर बनने की इच्छा पनपी. वो अपना खर्च खुद उठाना चाहते थे. चूंकि, उनकी रुचि लिखने-पढ़ने में थी. इसलिए उन्होंने तय किया कि वो फ्रीलांस राइटिंग करेंगे. आगे उन्होंने ऐसा किया भी. इंटरनेट के माध्यम से वो काम पाने में सफल भी रहे लेकिन उनका अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा.
उन्हें काम तो मिला, मगर काम के बदले पैसे नहीं मिले. पैसे मिले भी तो वो बेहद कम थे. आगे उन्होंने इसके पीछे के कारणों को जानना शुरू किया. अपनी रिसर्च में उन्होंने पाया कि वो अकेले नहीं थे जो फ्रीलांस के नाम पर ठगी का शिकार हुए थे. देश भर में उनके जैसे तमाम युवा फ्रीलांसर्स थे जिनकी स्थिति उनके जैसी ही थी.दोस्त का साथ मिला तो 21 की उम्र में खड़ी कर दी कंपनीPic Credit: Ankit Dev Arpanबकौल अंकित एक दिन पढ़ते-पढ़ते उन्होंने तय किया कि वो फ्रीलांसर्स की समस्या के हल के लिए कुछ करेंगे. इसकी चर्चा उन्होंने अपनी दोस्त शान्या दास से की. आगे दोस्त का साथ मिला तो उन्होंने 21 की उम्र में अपनी खुद की खड़ी कर दी और उसका नाम रखा ‘दि राइटर्स कम्युनिटी’.
कोरोना काल में उन्होंने इसके जरिए घर बैठे-बैठे लोगों को जोड़ने का काम किया. शुरुआत में तमाम तरह की मुसीबतें आईं लेकिन अंकित ने अपनी दोस्त शान्या के साथ मिलकर अपनी कोशिश जारी रखी. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और लोग उनसे जुड़ने लगे. अंकित के मुताबिक मौजूदा समय में ‘द राइटर्स कम्युनिटी’ फ्रीलांसरों के लिए एक ऐसा मंच बन चुका है, जहां उन्हें फ्री प्रशिक्षण और लेखन से संबंधित काम रहा है. Unacademy, Byjus, ParikshaAdda और Embibe, जैसी तमाम कंपनियों में उनकी मदद से फ्रीलांसर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं और आर्थिक लाभ ले रहे हैं.400 से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के अवसर दिएPic Credit: Ankit Dev Arpanअंकित का दावा है कि वो अब तक 400 से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर चुके हैं. उनके जरिए फ्रीलांसर्स को स्क्रिप्ट राइटिंग, रिव्यु राइटिंग, वीडियो एडिटिंग जैसे कई काम करने को मिल रहे हैं. वो छात्रों के प्रशिक्षण पर ज्यादा जोर दे रही है. परिणाम स्वरूप विभिन्न कॉलेजों के छात्र इंटर्न के रूप में जुड़ रहे हैं.
बता दें, अंकित ‘ग्लोबी अवार्ड्स’ के छठे वार्षिक व्यापार उत्कृष्टता पुरस्कार की सूची में घर बैठे काम करने की व्यवस्था के कुशल कार्यान्वयन हेतु ‘सिल्वर ग्लोबी अवार्ड’ से सम्मानित किए जा चुके हैं. अंकित अपने पुराने वक्त को याद करते हुए बताते हैं कि एक समय था, जब उन्हें कोई नहीं पहचानता था. मगर आज पूरा इलाका उन्हें पहचानता है. सोशल मीडिया पर कई युवाओं ने उन्हें अपना मेंटर बना लिया है.