बोहलियों में घर की चौखट पर टब्बर सहित पहुंचे ‘गजराज’, रात्रि ठहराव की भी संभावना

सिरमौर के मुख्यालय ‘नाहन’ से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर बोहलियों गांव में शुक्रवार शाम ‘गजराज’ (Elephant) परिवार सहित पहुंचे हैं। संभावना है कि गांव के आसपास ही रात्रि ठहराव भी कर सकते हैं, क्योंकि अमूमन गजराज रात को मूव नहीं करते हैं।

स्वास्थ्य विभाग में एएनएम के पद पर तैनात रजनी शुक्रवार शाम घर के सामने ही गाय को रोटी देने निकली थी। इसी दौरान अचानक सामने गजराज प्रकट हो गए। हालांकि, गजराज के झुंड ने रजनी को नुकसान नहीं पहुंचाया। वो  दौड़कर वापस घर पहुंची। इसी दौरान मौके पर लोगों का हजूम भी उमड़ना शुरू हो गया।

दिवंगत रमेश चंद की चौखट तक पहुंची गजराज की टोली ने खेतों में केले के पेड़ों को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, ग्रामीण सहमे हुए तो हैं, लेकिन खुद को हाथियों की टोली (herd of elephants) से बचाने के उपाय भी तलाश रहे हैं।

बता दें कि गत वर्ष भी हाथियों की टोली इस गांव तक पहुंच गई थी। इस दौरान रात भर ग्रामीणों ने पहरेदारी भी की थी। शोर मचाकर हाथियों के झुंड को खदेड़ा गया था।

कटासन देवी मंदिर व बोहलियो स्टेशन के बीच ग्रामीण हाथियों की टोली के पहुंचने को लेकर अलर्ट पर हैं। पिछली बार हाथियों की टोली साल के जंगल तक रुकी हुई थी, लेकिन इस बार घर के पशुओं के बाड़े तक ही पहुंच गई। रजनी ने बताया कि अचानक ही हाथी को सामने देखकर घबरा गई। दौड़ कर वापस घर पहुंची। रजनी ने बताया कि हाथी पालतू पशुओं के बेहद करीब थे, लेकिन पशुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

गौरतलब है कि हाथियों का पांवटा घाटी (Paonta Valley) में आना-जाना सामान्य है। बोहलियों तक हाथियों के झुंड का पहुंचना इस बात का भी संकेत है कि गजराज ने अपने ठिकाने का दायरा करीब 30 किलोमीटर आगे नाहन के करीब तक बढ़ा दिया है।

ऐसा भी प्रतीत हुआ है कि पिछले एक दशक में अमूमन उत्तराखंड में पाए जाने वाले हाथियों के साथ-साथ टाइगर (Tiger) की माइग्रेशन भी पांवटा साहिब घाटी में हुई है। ये अलग बात है कि इस पर कोई रिसर्च नहीं है।
घर के पास पहुंचा हाथियों का झुंड।