भाई की जान बचाने के लिए व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे 46 करोड़ इकट्ठा करने वाली आफ़्रा की SMA से मौत

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केरल की 16 साल की आफ़्रा स्पानल मस्कुलर एट्रोफ़ी (Spinal Muscular Atrophy, SMA) से लड़ाई हार गई. आफ़्रा के भाई, मोहम्मद को भी यही बीमारी है. अपने भाई की जान बचाने के लिए आफ़्रा ने व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही 46 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए. आफ़्रा अपने भाई का इलाज करवाने में तो सफ़ल रही लेकिन बीते सोमवार को SMA की वजह से उसकी मौत हो गई.

कोज़ीकोड के अस्पताल में चल रहा था इलाज

Afra Kerala SMA dead raised 46 crores for brother TNIE

SMA की वजह से आफ़्रा को कुछ कॉम्प्लीकेशन्स हो गए थे. बीते कुछ दिनों से कोज़ीकोड के अस्पताल में आफ़्रा का इलाज चल रहा था. प्राइवेट अस्पताल में ही आफ़्रा ने आखिरी सांस ली. आफ़्रा का परिवार केरल के कन्नूर के मट्टूल में रहता है.

हज़ारों में करुणाभाव जगाया

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जून-जुलाई 2021 में आफ़्रा ने व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही दुनिया से अपने छोटे भाई मोहम्मद की जान बचाने की अपील की थी. आफ़्रा के वीडियो ने हज़ारों लोगों के अंदर इंसानियत जगाई. जून 2021 में मोहम्मद की मदद करने के लिए सिर्फ़ 7 दिनों के अंदर 18 करोड़ जमा हो गए थे.

मोहम्मद भी SMA से पीड़ित था. डॉक्टर्स के मुताबिक अगर इस बीमारी में बच्चे को 2 साल की उम्र होने से पहले Zolgensma नामक दवाई मिल जाए तो बच्चे की जान बचाई जा सकती है. बता दें कि Zolgensma की एक डोज़ की कीमत 18 करोड़ रुपये है. आफ़्रा ने वीडियो में कहा, ‘मेरे पैर और रीढ़ की हड्डी बीमारी की वजह से झुक गए हैं. मैं लेटकर सो नहीं सकती. लेकिन मेरे छोटे भाई की हालत अलग है. वो ज़मीन पर घुटनों के बल चलता है. अगर उसे अभी दवाई मिल जाती है तो उसकी जान बच सकती है. मुझे उम्मीद है कि आप सभी आगे आएंगे और मेरे भाई की मदद करेंगे. मैं नहीं चाहती कि मेरा भाई भी वही तकलीफ़ें झेले जो मैंने झेली हैं.’

7.7 लाख लोगों ने जमा किए 46 करोड़ रुपये

Afra Kerala SMA dead raised 46 crores for brother Madhyamam

आफ़्रा की अपील लोगों के दिलों तक पहुंची. ट्रीटमेंट कमिटी के बैंक खाते में कुछ ही दिनों में 18 करोड़ के बजाए 46 करोड़ रुपये जमा हुए. 7.7 लाख लोगों ने मोहम्मद के लिए दान किया. Madhyamam की रिपोर्ट के अनुसार बची हुई रकम दो और बच्चों की जान बचाने में खर्च किए गए. पिछले साल अगस्त में मोहम्मद को Zolgensma की डोज़ लगी.

बीमारी के आगे हारी नहीं आफ़्रा

Afra Kerala SMA dead raised 46 crores for brother The News Minute

आफ़्रा को पता था कि वो एक ऐसी बीमारी से जूझ रही है जो एक दिन उसकी जान ले लेगी. उसे ये पता था कि उसका इलाज संभव नहीं. गौरतलब है कि इन बातों से आफ़्रा रुकी नहीं, खुल कर अपनी ज़िन्दगी जी. दर्द और तकलीफ़ों से जूझ रही आफ़्रा ने सपने देखना नहीं छोड़ा. वो म्यूज़िक और आर्ट में अपना हाथ आज़माती. वो व्लॉगिंग भी करती थी. अपने ट्रैवल्स, पढ़ाई, भाई के इलाज आदि के बार में यूट्यूब चैनल पर वीडियोज़ शेयर करती थी.

आफ़्रा की मौजूदगी से उस कमरे का माहौल बदल जाता था. दोस्तों और टीचर्स की फ़ेवरेट थी आफ़्रा.

Spinal Muscular Atrophy बीमारी क्या है?

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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफ़ी एक जेनेटिक डिसऑर्डर है. ये बीमारी मरीज़ के नसों और मांसपेशियों पर असर करता है. इस बीमारी की वजह से मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती है. SMA से पीड़ित मरीज़ रीढ़ की हड्डी में मौजूद वो नर्व सेल्स गंवा देते हैं जिससे किसी इंसान का मसल मूवमेंट कंट्रोल किया जाता है. इन न्यूरॉन्स के अभाव में मसल्स को नर्व सिग्नल्स नहीं मिलते जिससे मसल मूव नहीं करते. ये बीमारी ज़्यादातर बच्चों को ही होती है लेकिन ये वयस्कों को भी हो सकती है. जीन रिप्लेसमेंट और डिज़ीज़ मॉडिफ़ाइंग थेरेपी से इस बीमारी का इलाज संभव है. 6000-10000 में एक बच्चे को ये बीमारी होती है.