भारतीय विमानों में आ रही तकनीकी ख़राबियां – इत्तेफाक या चिंता की बात?

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रविवार को शारजाह से हैदराबाद जा रही इंडिगो की एक फ़्लाइट को पाकिस्तान के कराची में लैंड करना पड़ा.

कंपनी के मुताबिक पायलट को “तकनीकी ख़राबी का पता चला और एहतियात के तौर पर प्लेन को कराची डायवर्ट किया गया.”

रविवार को ही एयर इंडिया एक्सप्रेस की कैलिकट से दुबई जा रही फ़्लाइट को मस्कट में लैंड करना पड़ा. बताया गया कि प्लेन में कुछ जलने की गंध आ रही थी.

पांच जुलाई को स्पाइसजेट की दिल्ली से दुबई जा रही फ़्लाइट ने कराची में इमरजेंसी लैंडिंग की क्योंकि इसके फ्यूल इंडिकेटर में कुछ गड़बड़ियां थी.

इसी दिन इंडिगो की एक फ़्लाइट के इंदौर में लैंड करने के बाद केबिन में धुंआ देखे जाने की ख़बर सामने आई.

दो जुलाई को स्पाइस जेट की एक फ़्लाइट को दिल्ली वापस लैंड करना पड़ा क्योंकि पांच हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर केबिन में धुंआ देखा गया.

19 जून को पटना में एक स्पाइस जेट विमान के ईंजन में आग लगने के कारण इमरजेंसी लैंडिंग हुई.

इस साल विमान की इमरजेंसी लैंडिग और तकनीकी गड़बड़ियों की घटनाओं की लिस्ट लंबी है. पिछले दो महीने में विमानों में तकनीकी ख़राबी से जुड़ी ख़बरों में इज़ाफ़ा हुआ है.

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डीजीसीए ने की जांच

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हाल की सभी घटनाओं के पीछे कोई एक कारण तो नहीं दिख रहा है लेकिन वजहों की पहचान के लिए डीजीसीए ने कई स्पॉट जांच की है जिसमें ये कारण सामने आए हैं-

  • किसी डिफेक्ट का पता चलने पर उसके कारण की सही पहचान ना होना.
  • दूसरा ये कि एमईएल (न्यूनतम उपकरण सूची) ज़ारी होने का ट्रेंड बढ़ा है. एमईएल जारी होने का मतलब है किसी एयरक्राफ़्ट को ख़राब उपकरणों के साथ उनकी मरम्मत हो जाने तक एक निश्चित अवधि के लिए उड़ने की अनुमति देना.
  • कम अंतराल पर कई शेड्यूल फ्लाइट पर ध्यान देने के लिए जरूरी प्रमाणित स्टाफ की अनुपलब्धता.
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इसके समाधान के लिए डीजीसीए ने आदेश दिया है कि अब बेस और ट्रांज़िट स्टेशंस पर सभी हवाई जहाजों को एएमई कैटेगरी बी1/बी2 लाइसेंस धारक प्रमाणित स्टाफ़ ही जाने की अनुमति देगा.

डीजीसीए के बताए कारणों से एयरलाइन इंडस्ट्री की दिक्कतों की एक झलक मिलती है.

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बीबीसी ने इस सारे मसले को बारीकी से समझने के लिए एविएशन से जुड़े जानकारों से बात की. आइए पढ़ते हैं क्या कहते हैं विशेषज्ञ-

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कुछ जानकारों का मानना है कि विमानों मे छोटी-मोटी दिक्कतें आना आम बात है, लेकिन हाल के हफ़्तों में एक के बाद एक ऐसी ख़बरें आना चिंताजनक है.

बीबीसी से बात करते हुए डीजीसीए के पूर्व प्रमुख भारत भूषण कहते हैं, “लगातार ऐसी ख़बरें आना आम बात नहीं है, इसलिए इसका कारण जानना ज़रूरी है, और ये काम डीजीसीए ही कर सकता है, उसके पास पूरे संसाधन हैं.”

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क्या देख रेख में हो रही है कमी?

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कई जानकारों का मानना है कि कोरोना के कारण दो सालों तक हवाई जहाज़ों के खड़े रहने के कारण मुमकिन है कि कुछ गड़बड़ियां आ गई हों, लेकिन भूषण इससे सहमत नहीं है.

वो कहते हैं, “मुमकिन है कि विमानों की देखरेख कोरोना के दौरान सही से नहीं हुई हो, लेकिन अगर किसी विमान को उड़ने की इजाज़त दी गई है, तो इसका मतलब है कि वो उड़ने के लिए फ़िट है. अगर विमान में कुछ भी गड़बड़ी है, तो वो नहीं उड़ सकता. हम 99 प्रतिशत नहीं 100 प्रतिशित सही विमानों को ही उड़ने की इज़ाज़त दे सकते हैं.”

वहीं, इंडिगो के कर्मचारियों ने विमान बनाने वाली कंपनी एयरबस को एक चिट्ठी लिखकर दावा किया है कि विमानों की मेंटेनेंस ठीक से नहीं की जा रही है. इंडिगो के कई कर्मचारी, सैलेरी को लेकर हड़ताल पर चले गए थे.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस चिट्ठी में लिखा गया, “जिस ऑपरेटर को आपने अपने विमान दिए हैं, वो मेंटेनेंस के लिए तय नियमों का पालन नहीं कर रहे. पिछले चार दिनों से टेक्नीकल स्टाफ़ हड़ताल पर है और वो बिना सही मेंटेनेंस के हवाई जहाज़ उड़ा रहे हैं और मेंटेनेंस से शेड्यूल को आगे बढ़ा रहे हैं.

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चिट्ठी में लिखा गया कि इससे एयरबस की इमेज पर बुरा असर पड़ेगा.

कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का नाम लेकर चिट्ठी में कहा गया है, “इन्होंने मेंटेनेंस के स्टैंडर्ड को ख़राब कर दिया है. सही तरीके से मेंटेनेंस नहीं करने को लेकर आप उनसे सीधे सवाल कर सकते हैं.”

लेकिन इंडिगो ने इन आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने एक बयान में कहा, “इंडिगो उच्चतम मानकों का पालन करना है और सभी नियमों के मुताबिक चलता है. इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं और ये बातें ग़लत इरादों के साथ फैलाई जा रही हैं.”

डीजीसीए ने भी कहा कि उन्होने स्पॉट जांच की और सबकुछ सही पाया.

हादसों के बाद स्पाइसजेट ने भी बयान में कहा कि वो यात्रियों और अपने चालक दल की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.

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कंपनियों के आर्थिक हालात पर उठते सवाल

16 जून को दिए गए एक बयान में स्पाइस जेट के मालिक अजय सिंह ने कहा था कि विमान में इस्तेमाल होने वाले तेल की क़ीमत साल भर के दौरान 120 फ़ीसद बढ़ गई है जिसका भार विमान कंपनियों के लिए उठा पाना बहुत मुश्किल है.

स्पाइस जेट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह ने कहा था कि विमान में प्रयोग किए जानेवाले तेल, जिसे तकनीकी भाषा में एटीएफ या एविएशन टर्बाइन फ्यूल कहते हैं, की क़ीमत भारत में दुनियाभर में सबसे अधिक है और राज्य और केंद्र सरकार को इस मामले में जल्द क़दम उठाने चाहिए.

विमान कंपनी के चेयरमैन के अनुसार एटीएफ़ विमान को उड़ाने की क़ीमत का पचास फ़ीसद होता है, और जिस तरह से रुपये की क़ीमत डॉलर के मुक़ाबले गिर रही है, उसका असर इस क्षेत्र पर बहुत पड़ेगा.

दूसरी कई विमान कंपनियों की आर्थिक हालत भी ख़राब है और कई जानकारों का मानना है कि इसका असर विमानों की देखरेख पर पड़ सकता है.

कुछ दिन पहले बीबीसी से बात करते हुए एविएशन एक्सपर्ट मोहन रंगनाथन ने कहा था, “जब एयरलाइन के पास कैश की कमी होती है तो वो अक्सर एक विमान के पुर्ज़े का इस्तेमाल दूसरे विमान में करते हैं. कई बार पायलट को भी कहा जाता है कि वो गड़बड़ियों के बारे में न बताएं, उन्हें नौकरी खोने का डर होता है.”

लेकिन एसईटीसी ट्रैवल के चेयरमैन सुभाष गोयल कहते हैं कि एयरलाइन की टिकट की कीमतें पिछले कुछ समय में काफ़ी महंगी रही हैं, और ये कहना कि यात्राओं में एयरलाइन को काफ़ी नुकसान हो रहा है, वर्तमान में टिकट की कीमतों को देखते हुए ये सही नहीं होगा.

बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “टिकट के दाम पहले से बहुत बढ़ गए हैं, लोग यात्राएं कर रहे हैं, पैसे देने से नहीं हिचक रहे, सारे विमान पूरी तरह से भरे हुए हैं.”

उनका ये भी कहना है कि विमान कंपनियां आमतौर पर सुरक्षा मानकों पर समझौता नहीं करतीं, और ऐसे इमरजेंसी लैंडिग जैसे हालात दुनियाभर की विमान कंपनियों के लिए बनते रहते हैं. ये कोई हैरानी वाली बात नहीं है.

लेकिन भरत भूषण इस तर्क से सहमत नही हैं, उनका कहना है दुनिया के कई देशों में नियम काफ़ी कड़े हैं और इस मसले को ऐसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

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किसकी बनती है ज़िम्मेदारी?

सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एयरलाइन कंपनियों और डीजीसीए दोनों की है, लेकिन भरत भूषण मानते हैं कि डीजीसीए अगर कड़ाई से नियमों का पालन और विमानों की टेस्टिंग करे, तो हादसों में कमी आ सकती है.

घटना के बाद डीजीसीए जांच की है और कई एयरलाइन्स से जवाब भी मांगा गया है.

स्पाइसजेट को डीजीसीए ने एक शो कॉज़ नोटिस जारी किया और एयरलाइन से तीन हफ़्ते में जवाब मांगा है.

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लेकिन भरत भूषण कहते हैं कि ये काफ़ी नहीं है, “शो कॉज़ नोटिस से क्या होता है? इसका मतलब है कि आप एयरलाइन से जवाब मांग रहे हैं, जबकि आपके पास इतने संसाधन और इतने लोग हैं कि आप सभी विमान कंपनियों की जांच कर सकते हैं.”

“जांच सिर्फ़ कंपनियों और विमानों की ही नहीं हवाई अड्डों की भी होनी चाहिए.”

भूषण के मुताबिक ”कंपनियों पर कड़ी निगाह रखी जाए तो ऐसे हादसे जल्द ही रुक सकते हैं.”

“अगर कहीं भी गड़बड़ियां हों, तो विमान को नहीं उड़ने देना चाहिए.”

स्पाइस जेट से जुड़ी घटनाओं के बाद एविएशन एक्सपर्ट मोहन रंगनाथन ने भी डीजीसीए पर सवाल उठाए थे.

उनके मुताबिक, “अगर डीजीसीए कहता है कि यात्रियों की सुरक्षा ही सर्वोपरि है, तो पहले उन्हें इन विमानों को उड़ने से रोक देना चाहिए. ऐसा क्यों नहीं हुआ.”

उनके मुताबिक, “ऑडिट में जानकारियां छह महीने पुरानी हैं. इसका मतलब है कि डीजीसीए को पता था कि स्पाइजेट में सुरक्षा को लेकर दिक्कतें थी, फिर एयरलाइन को और समय क्यों दिया गया.”

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नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्या सिंधिंया

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यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए – सिंधिया

हालांकि बीबीसी से बात करते हुए डीजीसीए के डायरेक्टर जनरल ने कहा था कि वो “फ्लाइट सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं कर रहे.”

स्पाइस जेट की घटानाओं पर उन्होंने चिंता व्यक्ति की लेकिन फ्लाइट ऑपरेशन रोकने को लेकर उन्होंने कहा था कि “बिना नियमों का पालन किए हुए किसी भी फ्लाइट कंपनी को रोका नहीं जा सकता.”

डीजीसीए ने दूसरे मामलों में भी जांच की बात कही है.

उधर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्या सिंधिंया ने मंत्रालय और डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की और ये सुनिश्चित करने के लिए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए.