बोम्मन और बेल्ली और रघु ने भारत को बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट सबजेक्ट का ऑस्कर दिलवाया. खबरें आ रही थी कि द एलिफ़ेंट विस्परर्स (The Elephant Whisperers) के असली हीरोज़ ने ही अपनी डॉक्युमेंट्री फ़िल्म नहीं देखी है. जिनकी वजह से देश का गौरव बढ़ा उस बोम्मन ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं कि ऑस्कर क्या है. अब डॉक्युमेंट्री की निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस (Kartiki Gonzalves) ने अब इस मामले पर अपनी राय दी है.
बोम्मन और बेल्ली ने अपनी फ़िल्म नहीं देखी?
धर्मपुरी से फ़ोन पर मीडिया से बात-चीत करते हुए 54 साल के बोम्मन ने बताया, ‘मुझे अभी तक इस ऑस्कर के बारे में कुछ पता नहीं है. लेकिन मैं इतना समझता हूं कि ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि लोग कह रहे हैं कि इससे भारत का गौरव बढ़ा है. ये हमारे लिए बहुत मायने रखता है.’
बोम्मन एशिया के सबसे पुराने एलिफ़ेंट कैम्प, थेप्पकाडु एलिफे़ंट कैम्प (Theppakadu Elephant Camp) में काम करते हैं. दो अनाथ हाथी के बच्चों को ढूंढने के लिए वो धर्मपुरी के जंगल गए थे. पहले ये दावा किया गया था कि बोम्मन और बेल्ली ने अपनी ही फ़िल्म नहीं देखी है. बोम्मन ने कहा था कि उन्हें जल्द से जल्द फ़िल्म देखने की उम्मीद है.
कार्तिकी गोंजाल्विस ने क्या कहा?
ये यकिन करना मुश्किल हो रहा था कि जिन्होंने देश को इतना बड़ा सम्मान दिलवाया, उन्हें ही खुद को बड़े पर्दे पर देखने का मौका नहीं मिला.
द एलिफ़ेंट विस्परर्स की निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस ने ट्वीट के ज़रिए अपनी राय रखी.
कार्तिकी ने लिखा, ‘मैं बताना चाहूंगी कि एक स्पेशल व्यूइंग में सबसे पहले बोम्मन और बेल्ली ने ये डॉक्युमेंट्री देखी थी. वो घने जंगल में रहते हैं और उनके पास स्ट्रीमिंग चैनल्स देखने का साधन नहीं है.’
द एलिफ़ेंट विस्परर्स की कहानी है बोम्मन, बेल्ली, रघु और अम्मू की. रघु को उसके झुंड ने छोड़ दिया था. बोम्मन और बेल्ली ने उसे अपने बच्चे की तरह पाल-पोस कर बड़ा किया. बाद में रघु को एक दूसरे महौत के पास भेज दिया गया. इस परिवार का बिछड़न बहुत भावुक था.