भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त बिछड़े, अब 75 साल बाद फिर से ऐसे मिले भाई-बहन

Kartarpur Corridor Family Meetup: भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान बिछड़े भाई बहन 75 साल बाद फिर मिले हैं। करतारपुर कॉरिडोर पर दोनों की मुलाकात हुई है। सोशल मीडिया के जरिए वह दोनों मिले। जब वह मिले तो भाई की उम्र 78 वर्ष और बहन की उम्र 81 वर्ष हो चुकी है। दोनों के परिवार भी यहां साथ आए थे।

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लाहौर: भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान 75 साल पहले एकदूसरे से बिछड़े एक व्यक्ति और उसकी बहन ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे पर फिर से मिल गए। दोनों की यह मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए संभव हुई। यह जानकारी सोमवार को मीडिया की खबर से मिली। ‘डॉन’ समाचारपत्र की खबर के अनुसार भारत की 81 वर्षीय महेंद्र कौर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अपने 78 वर्षीय भाई शेख अब्दुल अजीज से करतारपुर गलियारे में फिर से मिलीं, जब उन्हें एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से पता चला कि वे 1947 में विभाजन के दौरान अलग हुए भाई-बहन थे।

विभाजन के दौरान, पंजाब के भारतीय हिस्से से सरदार भजन सिंह का परिवार दुखद रूप से अलग हो गया था, जब अजीज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए थे, जबकि उनके परिवार के अन्य सदस्य भारत में ही रह गए थे। उन्होंने कम उम्र में शादी कर ली थी लेकिन हमेशा अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ फिर से जुड़ने की लालसा रखते थे। पहले भी कई लोग जो विभाजन के वक्त अलग हो गए थे वह करतारपुर कॉरिडोर पर मिल चुके हैं।

भाई बहन फिर मिले

विभाजन के समय एक व्यक्ति और उसकी बहन के बिछड़ने का विवरण देने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दोनों परिवारों को पता चला कि महेंद्र और अजीज वास्तव में बिछड़े हुए भाई-बहन थे। रविवार को खुशी से अभिभूत महेंद्र कौर ने बार-बार अपने भाई को गले लगाया और उनके हाथों को चूमा और दोनों परिवारों ने साथ में करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में मत्था भी टेका। उन्होंने अपने फिर से मिलने के प्रतीक के रूप में उपहारों का भी आदान-प्रदान किया।

दोनों परिवारों को पहनाया माला

खुशी से एक बार फिर मिलने के बाद, करतारपुर प्रशासन ने दोनों परिवारों को माला पहनाई और मिठाइयां बांटी। करतारपुर गलियारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के पंजाब राज्य में गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है। चार किलोमीटर लंबा गलियारा दरबार साहिब जाने के लिए भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को वीजा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है।