मंकीपॉक्स अलर्ट: गाइडलाइन जारी, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और 21 दिन का आइसोलेशन, यह रखें सावधानी

नई दिल्ली. देश में  मंकीपॉक्स की रफ्तार बेशक धीमी है, लेकिन इसको लेकर डर और बेचैनी ज्यादा है. लोगों में इसको लेकर जिज्ञासा है कि आखिर इससे क्या होगा और  क्या ये कोरोना की तरह ही तो नहीं फैलेगा. 

मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों पर अलर्ट: गाइडलाइन जारी. (सांकेतिक फोटो)

इसी बीच दिल्ली में मंकीपॉक्स की खबर आने के बाद और देश में कुल 4 मामले सामने आने से सरकारी तंत्र भी हरकत में आ गया है. मंकी पॉक्स को लेकर गाइडलाइन भी जारी की गई है. इसमें मंकीपॉक्स को लेकर सावधानी बरती जाने की बात कही गई है. इस को लेकर कहा गया है कि  कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जाए, 21 दिन का आइसोलेशन रखा जाए साथ ही मंकीपॉक्स के इलाज के लिए लोगों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है. अमेरिका और यूरोप में इसे लेकर कुछ वैक्सीन और दवाओं की सिफारिश की गई है.

आमतौर पर मंकीपॉक्स का मरीज 21 दिन में खुद से ठीक हो जाता है. हालांकि अमेरिका में इस पर लगाम लगाने के लिए एक दवा की सिफारिश की जा रही है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने Tecovirimat दवा को आजमाने की सिफारिश की है, लेकिन ये दवा अभी भारत में उपलब्ध नहीं है. अमेरिका में मंकीपॉक्स के मरीजों को स्मॉल पॉक्स के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन भी दी जा रही है. ये दवा शुरुआती लक्षणों में तो थोड़ा राहत दे सकती है, लेकिन 7 दिन बीतने के बाद इसका ज्यादा फायदा होता नहीं दिखाई देता है. यूरोप की मेडिसिन अथॉरिटी एजेंसी EMA ने Imvanex दवा को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल करने की सिफारिश की है. इस दवा का इस्तेमाल स्मॉल पॉक्स के इलाज में किया जाता है.
डब्ल्यूएचओ मंकीपॉक्स को लेकर गंभीर
आपको बता दें कि केरल में ही अब तक मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आए थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शनिवार को मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है. डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से इस मुद्दे पर गंभीर होने का आह्वान किया. इसमें पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले लोगों की सेहत, उनके मानवाधिकारों और प्रभावित समुदाय के लोगों की गरिमा का विशेष ख्याल रखने को कहा. दुनिया के 75 देशों में अभी मंकीपॉक्स के 16 हजार से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं. अब तक पांच लोगों की मौत हुई है.
कैसे काम करते हैं लैब और क्या है टेस्टिंग प्रक्रिया ?
फ़िलहाल देश में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी, पूणे मंकीपॉक्स की पुष्टि कर रहा है, लेकिन अगर केस बढ़े तो 15 लैब पहले से ही चिंहित कर लिए है साथ ही प्राइवेट लैब को भी ट्रेनिंग देने को कहा गया हैस्टार इमेजिंग के एमडी डॉक्टर समीर भाटी के मुताबिक कोरोना की टेस्टिंग में नाक और गले से स्वैब लिया जाता था, लेकिन मंकीपॉक्स में शरीर में उभरे लेजन से पानी निकाला जाता है या फिर सीरिंज से इंट्राडर्मल क्रस्ट को निकला जाता है. इसके अलावा ब्लड सैंपल भी लिए जाते हैं, फिर आगे  की प्रक्रिया वैसे ही होती है जैसे कोरोना की टेस्टिंग में की जाती है यानि पीसीआर के जरिये. इसके रिपोर्ट आने में 3 से 4 घंटे का वक़्त लगता है, इसलिए फ़िलहाल डरने से जयादा सतर्क रहना ज़रूरी है.