मंत्री की बेटी निहारिका जोरवाल को नहीं मिला टिकट, निर्दलीय लड़ने की तैयारी

जयपुर. राजस्थान के विश्वविद्यालयों में 26 अगस्त को छात्रसंघ चुनाव के लिए मतदान होगा. कोरोना के चलते साल 2019 के बाद अब साल 2022 में यह चुनाव होने जा रहे है. राजस्थान की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी चुनाव के लिए एबीवीपी और एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद के टिकटों का ऐलान कर दिया है. एनएसयूआई से अध्यक्ष पद के लिए टिकट मांग रही राजस्थान सरकार के मंत्री मुरालीलाल मीणा की बेटी निहारिका मीणा को टिकट नहीं दिया है. एनएसयूआई से टिकट न मिलने से खफा मंत्री पुत्री निहारिका ने इसे आदिवासी समाज का अपमान बताया. निहारिका ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि में आदिवासी समाज से आती हूं, इसलिए मुझे टिकट नहीं दिया है.

इतना ही नहीं निहारिका ने एनएसयूआई राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी पर टिकट वितरण में जातिवाद करने के आरोप लगाए. वहीं एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि निहारिका हमारी छोटी बहन है. संगठन की पुरानी कार्यकर्ता है. मुझे उम्मीद है वो हमारे संगठन के झंडे को जरूर मजबूत करेगी. वही एनएसयूआई से ही अध्यक्ष पद की दौड़ में निहारिका के साथ शामिल रहे महेश चौधरी, संजय चौधरी ने भी निहारिका के साथ एनएसयूआई के खिलाफ चुनाव में ताल ठोक दी है. वहीं एनएसयूआई ने अध्यक्ष के लिए रितू बराला को उम्मीद्वार बनाया है तो एबीवीपी ने नरेंद्र यादव को अपना प्रत्याक्षी बनाया है.

 टिकट नहीं मिलने से खफा हुई मंत्री मुरारीलाल मीणा की बेटी से News18  खास बातचीत की 

सवाल निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लेना पड़ा?

जवाब  जब आपकी काबिलियत को नहीं समझा जाए, परखने के बाद भी आपके साथ नाइंसाफी की जाए तो दबकर थोड़ी रहूंगी. हम रहेंगे और हम अपनी ताकत दिखाएंगे.

सवाल – आपने टिकट मिलने का दावा किया था. आखिर आप को टिकट नहीं मिलने की क्या वजह रही?

जवाब – एक दावेदार के तौर पर जो भी योग्यता होनी चाहिए मैं उन सब को पूरा कर रही थी, लेकिन फिर भी मेरा टिकट कट गया. मैंने इस पर मंथन किया तो पता चला कि पिछले कुछ सालों से यूनिवर्सिटी में एससी और एसटी समाज के प्रत्याशियों को मौका नहीं मिलता है. एक यह कारण था.

सवाल – आपके पिता मंत्री हैं. क्या इसका नुकसान हुआ?

जवाब – पापा के मिनिस्टर होने का मुझे ना तो फायदा मिला और ना ही नुकसान हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे पिता जिस विचारधारा से हैं उसका मेरी राजनीति की पहली सीढ़ी पर नुकसान हुआ.

सवाल – क्या सचिन पायलटअशोक गहलोत गुटबाजी का नुकसान हुआ?

जवाब – नहीं मैं किसी का नाम नहीं ले रही. मैं सिर्फ मेरे पापा के पद का जिक्र कर रही हूं कि उनके मंत्री होने का ना तो मुझे एडवांटेज मिला और ना ही डिसएडवांटेज.

सवाल – एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी अशोक गहलोत खेमे के माने जाते हैं. आपके पिता ने सचिन पायलट का साथ दिया था. क्या इसका नुकसान हुआ है आपको?

जवाब – हो सकता है, क्यों नहीं

सवाल – टिकट कटने के बाद घर पर बात हुई. आपके पिता क्या कह रहे हैं. अब आगे क्या करेंगे?

जवाब – पापा ने कहा है खुद पर विश्वास रखो. जो भी फैसला करना है वह तुम्हारा खुद का होगा. मैं बस तुम्हें सपोर्ट कर सकता हूं. तुम्हारी हां मैं मेरी हां है. तुम्हारी ना में मेरी ना है.

सवाल – इस तरह की चर्चा है कि आप चुनाव नहीं लड़ेंगी या फिर एनएसयूआई आपको महासचिव पद का प्रत्याशी बनाएगी?

जवाब – नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं होगा. मैं चुनाव लड़ूंगा और अध्यक्ष पद पर ही लडूंगी. जब तैयारी मैंने अध्यक्ष पद के लिए की है तो फिर ऐसा कैसे करूंगी.