हिमाचल प्रदेश का राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेला पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए जाना जाता है, लेकिन अब धीरे-धीरे आधुनिकता के चलते इस मेले का रंग बदलता जा रहा है।
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, कुश्ती प्रतियोगिता व जरूरी चीजों की खरीद फरोख्त के लिए जाना जाने लगा है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब यह मेला शुरू हुआ था उस समय पशुओं की खरीद फरोख्त मुख्य मेले का आकर्षण था। दूर-दूर से पंजाब हरियाणा से किसान अच्छी नस्ल के पशु लेकर आते थे और उनकी खरीद-फरोख्त यहां की जाती थी।
अब पशुओं की खरीद फरोख्त इस मेले में बंद हो चुकी है। अब सिर्फ स्थानीय किसान अच्छी नस्ल के पशुओं की पेशकश मेले में करते हैं। जो भी अच्छी नस्ल का पशु होता है, उसे इनाम भी दिया जाता है। इसके अलावा युवाओं में रात के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का ज्यादातर क्रेज रहता है।
युवा काफी संख्या में रात्रि कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और जमकर डांस करते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में युवाओं का उत्साह देखते ही बनता है। मेले का मुख्य आकर्षण कुश्ती प्रतियोगिता है। जहां पहले हिमाचल केसरी का खिताब दिया जाता था, अब बिलासपुर केसरी का भी किताब इस पर शुरू किया गया है। जिसमें युवा पहलवान अपना दमखम दिखाएंगे, वहीं कुश्ती प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने होगा।
इसके अलावा जरूरी सामान की खरीद फरोख्त के लिए दूर-दूर से पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, यूपी व अन्य प्रदेशों से व्यापारी यहां पर पहुंचते हैं। सामान को खरीदारी के लिए स्थानीय ग्रामीण लोग मेले में आते हैं और खरीदारी करते हैं।