बेटी की उपलब्धि पर मां प्रेमलता की आंखों में आंसू आ जाते हैं. आंसू पोंछते हुए कहती हैं कि बेटी को ताऊ महावीर फोगाट की हिम्मत ने बल दिया और गोल्ड जीतकर ताऊ व परिवार को ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. विनेश के पिता की मौत होने के बाद एक बार तो वह टूट चुकी थी कि छोटे बच्चों का कैसे गुजारा कर पाऊंगी.चरखी दादरी. कई वर्ष पूर्व पिता की मौत हुई थी, रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि बिस्तर पर रही, फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी विनेश फोगाट ने टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई किया. लेकिन चोट व मानसिक हालातों के चलते कामयाब नहीं हुई. बावजूद इसके विनेश का जज्बा कम नहीं हुआ और कॉमनवेल्थ खेलों में महिला कुश्ती में गोल्ड जीतकर अपनी गोल्डन जीत की हैट्रिक बनाकर इतिहास रचा है.
विनेश का खेल जीवन बहुत उतार-चढ़ाव का रहा है. पिता का सिर से साया उठने के बाद मां प्रेमलता ने भैंस पालकर व पिता की पैंशन से बेटी को आज अंतर्राष्ट्रीय पहलवान बनाकर देश के लिए सोने की चिड़िया बना दी है. मां को अब अपने दूध की लाज रखते हुए बेटी के ओलंपिक में देश के लिए सोना जीतने की बड़ी आस है.
पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने विनेश फोगाट व उसकी बड़ी बहन प्रियंका को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा. ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने कॉमनवेल्थ में लगातार तीसरी बार गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया.
विनेश ने अपने परिवार व जिले के लोगों की आस के अनुरूप जीत हासिल की है. चरखी दादरी जिला के गांव बलाली निवासी द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने से जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी. फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर टोक्या ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया.