मानसून में मशरूम को लगा कोवेव रोग, देश भर में 25 फीसदी फसल खराब

खुंब निदेशालय सोलन के रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल ने बताया कि कोवेव रोग से बरसात के मौसम में मशरूम को नुकसान पहुंचता है। यह रोग मशरूम के तने से शुरू होता है जोकि खाद के बैग में भी सड़न पैदा कर देता है।

मशरूम को लगा कोवेव रोग।

मानसून के मौसम में बटन और ढिंगरी मशरूम कोवेव रोग की चपेट में आ गई हैं। यह रोग खाद सहित तने को सड़ाकर मशरूम के रंग को हल्का भूरा और अंत में गुलाबी कर रहा है। देश भर में हर वर्ष दो लाख टन से अधिक मशरूम तैयार की जाती है। बरसात के मौसम में अब तक इसमें से 25 फीसदी मशरूम खराब हो चुकी है। बारिशों का क्रम इसी तरह जारी रहा तो नुकसान और अधिक बढ़ सकता है। खुंब निदेशालय सोलन के रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल ने बताया कि कोवेव रोग से बरसात के मौसम में मशरूम को नुकसान पहुंचता है। यह रोग मशरूम के तने से शुरू होता है जोकि खाद के बैग में भी सड़न पैदा कर देता है।

अधिक नमी इसका मुख्य कारण होता है। अधिक नमी से मशरूम में क्लेडोबोट्रियल फंगस लग जाती है। यह एक से दूसरी मशरूम तक भी पहुंच जाती है। इससे कई बार पूरी फसल भी खत्म हो जाती है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों ने इससे निपटने के लिए एडवाइजरी जारी की है। खुंब निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने कहा कि बरसात के मौसम में कुछ रोग मशरूम को शिकार बना रहे हैं। इन रोगों के उपचार के लिए रोजाना देशभर से किसानों की शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 25 फीसदी फसल खराब हो चुकी है। किसानों को समय-समय पर मशरूम रोग के लक्षण, बचाव के बारे में ऑनलाइन माध्यम से जानकारी दी जा रही है।

क्या करें, क्या न करें
ढिंगरी मशरूम के लिए ताजा हवा की आवश्यकता होती है। उत्पादक रोजाना खिड़की व दरवाजे से हवा का प्रवेश कमरों में करवाते हैं, लेकिन बरसात में हवा में अधिक नमी होती है। इससे कमरे में भी अधिक नमी हो जाती है। इसी वजह से यह रोग लगता है। उत्पादकों को समय-समय पर मशरूम कक्ष में तापमान को जांचना चाहिए। मशरूम कक्ष में व खाद बनाते समय सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कंपोस्ट में पर्याप्त मात्रा में जिप्सम मिलाना चाहिए व अधिक मात्रा में पानी न डालें।