बिहार के कटिहार जिला में पहली संतान के रूप में बेटी को जन्म देने के बाद एक बहू और नवजात का ऐसा स्वागत हुआ जो पूरे समाज के लिए मिसाल बन गया. इलाके के लोग भी बताते हैं कि घर में बेटी होने पर ऐसा स्वागत और जश्न देखने को पहली बार मिला है और ये बदलते समाज की निशानी है.
कटिहार. समाज भले ही बेटियों के जन्म पर सवाल उठाये लेकिन यकीन मानिये हालात अब बदलने लगे हैं और उनके जन्म पर भी जश्न मन रहा है. जो समाज बेटियां जनने पर ताना मारता है उसी समाज से एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है जो बदलते माहौल और बेटियों के बढ़ते कद की बानगी मात्र है. बेटी के जन्म से जुड़ी ये तस्वीर अपने आप में एक कहानी है बदलते सोच, समाज और मानसिकता की. (रिपोर्ट- सुब्रत गुहा)
बिहार में महिला सशक्तिकरण का नारा कितना बुलंद हुआ है उसे कुछ हद तक साबित करने के लिए ये वाक्या एक बेहतर नजीर बन सकता है जहां बेटी के जन्म के बाद ऐसा जश्न मना कि जो देखा वो देखता ही रह गया और इस परिवार की प्रशंसा करने से नहीं चूका.
बिहार के सबसे पिछड़े इलाके सीमांचल के कटिहार जिले में एक बेटी के जन्म पर जमकर जश्न मना. बहू ने बेटी को जन्म दिया तो उसे ठीक उसी तरह घर लाया गया जैसे विवाह के बाद कोई दुल्हन आती है. स्नेहा को उसके ससुराल के लोग डोली पर बिठा कर घर ले आये और नई मेहनमा का भी दिल खोलकर स्वागत किया.
उत्सवनुमा माहौल में परिवार के लोगों अपनी पौत्री और पुत्र वधू का स्वागत किया. बच्ची का नाम प्रांजल सुमन रखा गया है.बच्ची के पिता मयंक आर्यन मनरेगा में कार्यपालक सहायक हैं जबकि बच्ची का मां स्नेहा कुमारी हाउस वाइफ हैं.
स्नेहा की सास ममता कुमारी कहती हैं कि सरकार जो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा बुलंद कर रही है, वो इसी संदेश को आगे बढ़ाना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि इस अनोखे अंदाज में स्वागत के पीछे उनका मकसद यह है कि समाज में भ्रूण हत्या जैसे अपराध को रोका जा सके.
सुमन मिश्रा की पुत्र वधू स्नेहा कहती हैं कि वो एक बार पहले बहू बनकर डोली में इस घर में आ चुकी हैं और अब अपनी पुत्री के साथ घर में आने पर फिर से ऐसे स्वागत से वो बेहद खुश हैं. स्नेहा कहती हैं कि हर किसी को ऐसा ससुराल और हर बच्ची को ऐसे सोच रखने वाले परिजनों का अगर आशीर्वाद मिले तो सच में हर कोई यही कहेगा कि बार-बार लाडो इस देश में ऐसे आंगन में जरूर आना.
जिला परिषद अध्यक्ष रश्मि देवी इस आयोजन को लेकर कहती हैं कि आज तक समाज में महिलाओं को परेशानी को लेकर कई पंचायती का हिस्सा बनने और उसे निदान करने का मौका मिला था लेकिन आज किसी के घर में बेटी जन्म होने पर इस तरह का स्वागत वाकई समाज के सामने एक बड़ा संदेश है. अगर किसी के घर मे बेटी के जन्म पर इस तरह से स्वागत और जश्न हो, तो समाज में सच मे बेटियों के लिए नजरिया बदलेगा.
स्नेहा और मयंक की शादी लगभग डेढ़ साल पहले हुई थी. कोरोना के दौरान दोनों परिवार ने मिलकर आदर्श विवाह रचाया था. बच्ची के दादा सुमन मिश्रा पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं वहीं बच्ची की दादी ममता कुमारी भी पोती के जन्म और इस आयोजन से बेहद खुश हैं.