केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर देशभर में बवाल जारी है। कहीं ट्रेनें फूंकी जा रहीं हैं, तो कहीं पुलिस चौकी। सरकारी संपत्तियों में तोड़फोड़ की जा रही है। अब तक 15 राज्यों से इस तरह की घटनाओं की खबर आ चुकी हैं। दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। बिहार और यूपी में सबसे ज्यादा उपद्रव हुआ।
इस बीच, आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के बड़े अफसरों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें तीनों ने साफ कर दिया कि अगर किसी पर एफआईआर दर्ज है तो वह सेना में नौकरी हासिल नहीं कर पाएगा। ऐसे लोग सेना भर्ती प्रक्रिया में भी शामिल नहीं हो पाएंगे।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या एफआईआर होने पर सिर्फ सेना में नौकरी नहीं मिलेगी? अन्य सरकारी विभागों के लिए क्या नियम हैं? आइए जानते हैं..
पहले जान लीजिए क्या है पूरा मामला ? दरअसल तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने सेना भर्ती के लिए ‘अग्निपथ भर्ती योजना’ का एलान किया। इसके तहत युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सेना में शामिल होने का मौका मिलेगा। भर्ती के लिए साढ़े 17 साल से 21 साल की आयु सीमा तय की गई है। हालांकि, इस साल उम्र सीमा में युवाओं को दो साल की छूट दी गई है। मतलब 2022 में होने वाली भर्ती में 23 साल तक के युवा भाग ले सकेंगे।
चार साल के सेवाकाल के बाद 75 फीसदी सैनिकों को ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा। अधिकतम 25 फीसदी इच्छुक जवानों को सेना में आगे भी सेवा देने का मौका मिलेगा। यह तब होगा जब रिक्तियां होंगी। जिन जवानों को सेवा से मुक्त किया जाएगा, उन्हें सशस्त्र बल व अन्य सरकारी नौकरियों में वरीयता मिलेगी। युवाओं का कहना है कि चार साल की नौकरी के बाद वह फिर बेरोजगार हो जाएंगे। इसलिए उन्हें पहले की तरह भर्ती का मौका दिया जाए। इसी को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है।
अब तक क्या-क्या हुआ? अग्निपथ को लेकर अब तक देश के 15 राज्यों में बवाल की सूचना है। यहां एक दर्जन से अधिक ट्रेनों को आक्रोश की आग में उपद्रवियों ने झोंक दिया। 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। दो लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हैं। 25 से ज्यादा बसों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई है। बिहार के रेलवे स्टेशन पर तीन लाख रुपये से ज्यादा की लूटपाट हुई है।
वहीं, सेना के तीनों विंग में भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए तारीखों का भी एलान कर दिया गया है। थलसेना में भर्ती प्रक्रिया एक जुलाई से शुरू हो जाएगी। वायुसेना की भर्ती प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी जबकि नौसेना की भर्ती प्रक्रिया 25 जून से शुरू होगी। इस बीच, गृहमंत्रालय ने चार साल की सेवा करके आने वाले अग्निवीरों को सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेज में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का एलान किया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों की पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भी वरीयता मिलेगी।
क्या बवाल करने वालों को मिल सकती है सरकारी नौकरी? यही सवाल हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्त चंद्र प्रकाश पांडेय से पूछा। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में युवा अनेक तरह की सरकारी नौकरी पाने के लिए तैयारी करते हैं। किसी भी व्यक्ति को किसी भी सरकारी सेवा में नियुक्त करने के पहले उसका पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाता है। ऐसे पुलिस वेरिफिकेशन में सबसे महत्वपूर्ण चीज यह देखी जाती है कि अभ्यार्थी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं।’
पांडेय आगे कहते हैं, ‘किसी भी अभ्यार्थी पर बहुत अधिक आपराधिक प्रकरण नहीं होना चाहिए और कोई भी ऐसा प्रकरण नहीं होना चाहिए जिसमें तीन वर्षों से अधिक के कारावास का प्रावधान है। खासतौर पर ऐसे अपराध जो नैतिक अधमता जैसे मानव शरीर से संबंधित अपराध, संपत्ति से संबंधित अपराध और देश के विरुद्ध होने वाले अपराध से जुड़े हो। अगर कोई अभ्यर्थी ऐसे मामलों में लिप्त होता है या उसके खिलाफ ऐसा कोई केस विचाराधीन होता है तो उसे सरकारी सेवा में नहीं लिया जा सकता है। हां, अगर अभ्यार्थी को उस केस में बाइज्जत बरी कर दिया गया है, तब उसे सरकारी सेवा में लिया जा सकता है, भले ही रिकॉर्ड पर उस अभ्यार्थी के मामले में यह दर्ज हो कि उस पर मुकदमा चला है।
इन परिस्थितियों में भी नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी
कुछ लोग छोटे मामलों में समझौता कर लेते हैं, अगर किसी अपराध में समझौते के माध्यम से बरी हुआ गया है, तब इस स्थिति में अभ्यार्थियों को सरकारी सेवा में अवसर नहीं दिया जा सकता। क्योंकि समझौते के मामले में व्यक्ति बाइज्जत बरी नहीं होता है, बल्कि समझौते से बरी होता है। बाइज्जत बरी होना उसे कहा जाता है जहां अभियोजन द्वारा मामला प्रमाणित नहीं किया गया है।
अगर बार-बार किसी व्यक्ति पर धारा 151 की कार्रवाई की गई है, तब उसे सरकारी सेवा में नहीं लिया जाता है।
अगर किसी सरकारी सेवा की तैयारी करते हुए व्यक्ति की किसी अपराध में गिरफ्तारी होती है और उस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 48 घंटे से अधिक पुलिस हिरासत में रखा जाता है या फिर न्यायिक हिरासत में रखा जाता है। तब ऐसे व्यक्ति को सरकारी सेवा का अवसर प्राप्त नहीं हो सकता। जब तक की उसके द्वारा यह साबित नहीं कर दिया जाता है कि उसे उस मामले में बाइज्जत बरी कर दिया गया है।
मिल सकती है पांच साल तक की सजा लोक संपत्ति यानी सरकारी संपत्ति को होने वाले नुकसान के लिए संसद द्वारा वर्ष 1984 में एक कानून बनाया गया था। इसे लोक संपत्ति नुकसान निवारक अधिनियम, 1984 कहा जाता है। इसके अंतर्गत कुल सात धाराएं हैं। यह कानून यह कहता है कि जो कोई व्यक्ति किसी लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, उसे पांच वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा मिल सकती है। दंगा, उपद्रव और हिंसा के मामलों में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 10 की धारा 186 भी उपद्रवियों पर लगती है। ये सरकारी कार्य में बाधा डालने की धारा है। इसके अनुसार सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर तीन महीने या पांच सौ रुपये के जुर्माने या फिर दोनों की सजा का प्रावधान है।