मेडिकल डिवाइस पार्क में जमीन लेने आईं देश-विदेश की 39 कंपनियां, आज होगा ड्रा

नोएडा. पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की ड्रीम प्रोजेक्ट और नार्थ इंडिया का पहला डिवाइस पार्क यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) के किनारे बनने जा रहा है. आज पार्क में जमीन आवंटन के लिए ड्रा होगा. खास बात यह है कि पार्क में जमीन लेने के लिए देश-विदेश की 70 कंपनियों ने आवेदन किया था. जिसमे से 39 कंपनियों आवेदन सही पाए गए हैं. आज यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) के ऑफिस में जमीन का ड्रा होगा. कोरोना के दौरान मेडिकल इक्यूपमेंट की हुई कमी को देखते हुए मेडिकल डिवाइस पार्क (Medical Device Park) के काम को तेजी के साथ पूरा किया जा रहा है.

 350 हेक्टेयर जमीन पर बनेगा मेडिकल डिवाइस पार्क

यमुना अथॉरिटी से जुड़े अफसरों की मानें तो मेडिकल डिवाइस पार्क कुल 350 हेक्टेयर जमीन पर बनेगा. इसमे कुल 200 प्लॉट होंगे. पहले फेज में 110 हेक्टेयर जमीन पर 136 प्लॉट का आवंटन किया जाएगा. योजना के तहत पहले फेज में 1000 वर्गमीटर, 2000 और 4000 वर्गमीटर के  प्लॉट आवंटित किए जाएंगे. जबकि दूसरे फेज में कुल 115 प्लॉट आवंटित करने की योजना है.

कोरोना के दौरान मेडिकल इक्यूपमेंट की हुई कमी को देखते हुए मेडिकल डिवाइस पार्क के काम को तेजी के साथ पूरा किया जा रहा है. Demo Pic

फ्लैटेड फैक्ट्री कॉन्सेप्ट पर भी होगी मेडिकल पार्क में काम

जानकारों की मानें तो फ्लैटेड फैक्ट्री कॉन्सेप्ट (एफएफसी) से ऐसे कारोबारी भी कारोबार शुरु कर सकते हैं जिनके पास कम पूंजी है. ज़मीन खरीदने और फैक्ट्री बनवाने से लेकर उसका स्ट्राक्चर तक तैयार कराने लायक लागत नहीं है. ऐसे में फ्लैटेड फैक्ट्री कॅन्सेप्ट बहुत ही काम आता है. इसके तहत अपने काम के हिसाब से फैक्ट्री में पहले से तैयार फ्लोर किराए पर लेकर काम शुरु किया जा सकता है.

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पार्क से हेल्थ सेक्टर को ऐसे मिलेगी मजबूती

कोरोना महामारी के बाद से हैल्थ सेक्टर को मजबूत करने और चीन पर निभर्रता कम करने के लिए कवायद तेज हो गई है. इसी के चलते मेडिकल डिवाइस के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है. यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में मेडिकल डिवाइस का निर्माण करने के लिए मेडिटेक पार्क की डीपीआर कलाम ऑफ हेल्थ टेक्नोलॉजी (केआईएचटी) हैदराबाद ने बनाई है.

इस मेडिटेक पार्क में करीब 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है. भारत में अभी 20 फीसद मेडिकल डिवाइस बनाए जाते हैं. बाकी 80 फीसद आयात किए जाते हैं. इस निभर्रता को खत्म और कम करने के लिए केंद्र सरकार ने यह पहल की है. यहां पर मेडिकल उपकरण बनने से कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है.