Covid Link In Cardiac Deaths Among Youths: देश में अचानक हार्ट अटैक से हो रही मौतों के पीछे कोरोना कनेक्शन पाया गया है। हालांकि इसका कोई सरकारी डेटा नहीं है। मगर डॉक्टरों के अनुभव और रिसर्च के अनुसार, कोविड से पीड़ित हो चुके लोगों में अचानक हार्ट अटैक से मौत के मामले ज्यादा देखें जा रहे हैं।
20 साल के युवा भी खतरे की जद में
मैक्स अस्पताल, साकेत में कार्डियक विभाग के डायरेक्टर डॉ बलबीर सिंह ने बताया कि अचानक हार्ट अटैक से मरने वाले लोगों में 20 साल के युवा भी शामिल हैं। ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी और रिसर्च और स्टडी की जरूरत है। कोरोना से पहले देश में 50 साल से कम आयु वर्ग के लोग 15 फीसदी लोग ही अचानक हार्ट अटैक की चपेट में आते थे, लेकिन अब 24 फीसदी तक ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हो गई है।
सांस फूलने के लक्षणों को ना करें नजरअंदाज
AIIMS के प्रोफेसर राकेश यादव के अनुसार, ऐसे मामलों के मात्रात्मक डेटा (Quantifiable Data) नहीं है, लेकिन ऐसे मामलों में कम से कम 10-15% की बढ़ोतरी देखी गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो लोग कोविड से संक्रमित थे, उन्हें अपनी उम्र या फिटनेस की परवाह किए बिना सांस फूलने जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी एंड इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, नारायण हॉस्पिटल, डॉ. संजय कुमार चुग ने कहा कि युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन से संबंधित असामान्यता के कारण हुई है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे मामलों में दिल प्रभावी ढंग से धड़कना बंद कर देता है और अचानक से मौत हो जाती है। उन्होंने कहा, ‘कई युवा डॉक्टरों को एससीडी का सामना करना पड़ा है।’
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
दिल्ली के धर्मशीला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नवनीत सूद ने कहा कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कोविड-19 के कई मामलों में सूजन के कारण शरीर के कुछ हिस्सों में क्लॉटिंग बढ़ गई है। कोविड मरीजों में ये रक्त के थक्के फेफड़े और हार्ट के अंदर हो सकते हैं। थक्के फेफड़ों में जा सकते हैं, जो शरीर खून के बहाव को प्रभावित कर सकते हैं और फेफड़ों की क्षमता को कम कर सकते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि चिंता की बात इसलिए है कि क्योंकि जिन लोगों की अचानक हार्ट अटैक से मौत हो रही है, उनकी ना कोई फैमिली हिस्ट्री है और 50 फीसदी मामलों में पेशंट्स धूम्रपान भी नहीं करते थे।