भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक त्यौहार रक्षाबंधन इस साल कई शुभ संयोग में मनाया जाएगा। साल 2022 में रक्षाबंधन के दिन सौभाग्य व आयुष्मान योग बन रहा है। वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष व अंक ज्योतिष के ज्ञाता पंडित शशि पाल डोगरा के अनुसार, आयुष्मान व सौभाग्य योग में भाई की कलाई पर राखी बांधना शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस योग में शुभ कार्यों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र “प्रदोष काल” में भी बांध सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष काल में किये गए कार्यों का पुण्य फल मिलता है। इसके साथ ही भगवान शंकर के प्रसन्न होने की मान्यता है।
रक्षा बंधन 2022 कब है?
रक्षा बंधन का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल सावन मास की पूर्णिमा 11 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसे में रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को है। रक्षाबंधन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त 11 अगस्त को रात 08: 51 बजे से 09:13 बजे तक है। प्रदोष काल की अवधि 22 मिनट की है।
रक्षा बंधन 2022 शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 11 अगस्त 2022 को 10:38 बजे पूर्णिमा शुरू होंगी। तिथि समाप्त 12 अगस्त 2022 को 07:05 तक रहेगी। शास्त्रों मे भद्रा काल में राखी बांधना निषेध माना गया है। पंडित डोगरा ने कहा की भद्रा के मुख काल का विशेष रूप से त्याग करना चाहिए। जिसका समय शाम 18:20 से 20:02 तक रहेगा। परन्तु भद्रा पूंछ काल जिस का समय सायं 17:18 से 18:19 तक रहेगा, जिसमें रक्षा बंधन करना शुभ है।
पंडित शशि पाल डोगरा के अनुसार पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली व जम्मू-कश्मीर में प्राचीन काल से ही उदय व्यापिनी पूर्णिमा के दिन ही सुबह ही रक्षा बंधन पर्व मनाने का प्रचलन है। इसलिए 12 अगस्त 2022 को 07:06 बजे से पहले ही उदय कलिका पूर्णिमा में ही रक्षाबंधन पर्व मना सकते हैं।
राखी बांधने का सही तरीका
पंडित डोगरा के अनुसार, राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। बहनों को पूजा की थाली में चावल, रौली, राखी, दीपक आदि रखना चाहिए। इसके बाद बहन को भाई के अनामिका अंगुली से तिलक करना चाहिए। तिलक के बाद भाई के माथे पर अक्षत लगाएं। अक्षत अखंड शुभता को दर्शाते हैं। उसके बाद भाई की आरती उतारनी चाहिए और उसके जीवन की मंगल कामना करनी चाहिए। कुछ जगहों पर भाई की सिक्के से नजर उतारने की भी परंपरा है।
अफवाहें, भ्रम और निवारण
वर्ष 2022 में श्रावण पूर्णिमा 11 अगस्त (गुरुवार) को मनाई जानी है। विभिन्न लोगों का कहना है कि उस दिन ज्योतिष के अनुसार भद्रा है, जो कि अशुभ है। परंतु 11 अगस्त की पूर्णिमा को संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा, एवं चंद्रमा के मकर राशि में होने से भद्रा का वास इस दिन पाताल लोक में रहेगा। पाताल लोक में भद्रा के रहने से यह शुभ फलदायी रहेगी। अच्छे चौघडि़ए और होरा के अनुसार राखी बांधकर त्यौहार मना सकते हैं।
पंडित डोगरा के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है।
भद्रा जिस लोक में रहती है, वही प्रभावी रहती है। इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नहीं। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा का पाताल लोक (नाग लोक) में वास शुभ फलदायी होता है।