विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले दो कांग्रेस विधायकों को झटककर भाजपा ने यह बड़ी चाल चली है। शिमला और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस के घर में इस सेंधमारी ने एक सियासी संदेश भी दिया है।
दो कांग्रेस विधायकों को अपने पक्ष में झटक लेने के बाद हिमाचल प्रदेश में अभी भाजपा की दो और विधायकों पर नजर है। इन विधायकों से भाजपा का संवाद चला हुआ है। इनमें एक हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं। दो नेता इन्हें भाजपा में लाना चाह रहे हैं तो एक बड़े नेता विरोध कर रहे हैं। एक अन्य विधायक शिमला संसदीय क्षेत्र से हैं, जो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के भी करीबी हैं।
ऐसे में अभी यह खो-खो का खेल आने वाले दिनों में भी चला रहेगा। विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले दो कांग्रेस विधायकों को झटककर भाजपा ने यह बड़ी चाल चली है। शिमला और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस के घर में इस सेंधमारी ने एक सियासी संदेश भी दिया है। बुधवार तक कांग्रेस के पास 22 विधायक थे जो अब केवल 20 रह गए हैं, जबकि भाजपा का कुनबा 43 से 47 पहुंच गया है।
ठीक एक महीने पहले भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष खीमी राम कांग्रेस में चले गए तो यह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह संसदीय क्षेत्र मंडी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में बड़ी सियासी हलचल थी। उसके बाद ही भाजपा ने कांग्रेस की इस चाल पर करारा पलटवार करने की ठान ली थी। नड्डा के करीबी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह और प्रभारी अविनाश राय खन्ना खुद कांग्रेस की कमजोर कड़ियां खोजने फील्ड में उतरे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप और संगठन महामंत्री पवन राणा भी इसका तोड़ तलाशते रहे।
आखिर भाजपा के हाथ कांग्रेस के दो विधायक आ ही गए, जो कांग्र्रेस में रहते हुए अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे थे। अब केंद्र और हिमाचल में सत्तारूढ़ भाजपा ने इन्हें भविष्य की नई किरण दिखाई है। विशेष तो यह भी है कि कांगड़ा में पवन काजल और नालागढ़ में लखविंद्र राणा की राजनीतिक शुरुआत भाजपा से ही हुई थी। बाद की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने उन्हें कांग्रेस के साथ जोड़ दिया। अब बदली परिस्थितियों में दोनों भाजपा में लौट आए हैं।
डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा की कमजोर कड़ी तलाशेगी कांग्रेस
हिमाचल प्रदेश में डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस अब भाजपा की कमजोर कड़ी तलाशेगी। इसके लिए कांग्रेस ने रणनीति बनाना शुरू कर दी है। सोमवार को आनन-फानन में प्रदेश चुनाव समिति का गठन भी इसी कड़ी में हुआ है। कांग्रेस मंडी से पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री दिवंगत पंडित सुखराम के बेटे एवं मौजूदा भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री अनिल शर्मा को घर वापसी के लिए मना रही है।
दोनों कांग्रेस विधायकों के भाजपा में शामिल होने में अभी सियासी पेच
हालांकि इन दोनों कांग्रेस विधायकों का तकनीकी रूप से भाजपा में शामिल होने का अभी सियासी पेच रहेगा। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस विधानसभा में इस संबंध में एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत शिकायत कर सकती है। इन्हें भाजपा में एक राजनीतिक संदेश देते हुए शामिल किया गया है।