नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव होने से पहले ही इस बात की हवा बन चुकी थी कि झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू भारत की अगली और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी.
हालांकि भारत में राष्ट्रपति के चुनाव से सीधे तौर पर जनता की भावनाओं का आकलन नहीं लगाया जा सकता है, इससे इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में हवा किस तरफ है. लेकिन एक बात इस चुनाव में जरूर खास है, क्रॉस वोटिंग. यह फैक्टर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाती है.
आम चुनाव से 2 साल पहले असम, बिहार, छत्तीसगढ़ और गोवा जैसे राज्यों में हुई क्रॉस-वोटिंग ने भाजपा के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त मोर्चे की कहानियों के पन्नों को बिखेर कर रख दिया है. यहां तक कि आम चुनाव जैसी बड़ी लड़ाई से पहले कुछ राज्यों में अगले दो सालों में विधानसभा चुनाव होंगे, ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में देखे गए वोटिंग पैटर्न ने विपक्षी दलों के समक्ष चेतावनी की घंटी बजा दी है. एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के खिलाफ एक तरफा जीत हासिल करके भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया है.
एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को हासिल हुए 64 फीसदी वोट
एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने 64 फीसदी वोट प्राप्त करके अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा पर एक उल्लेखनीय अंतर से जीत दर्ज की और भारत की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गईं. रिपोर्ट बताती हैं कि विभिन्न राज्यों के करीब 125 विधायकों ने पार्टी लाइन से इतर द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में क्रॉस वोटिंग की. मतगणना से यह भी पता चलता है कि 17 सांसदों ने भी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. सूत्रों के मुताबिक सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग असम में दर्ज की गई, जहां करीब 22 गैर भाजपा विधायकों ने मुर्मू का समर्थन किया.
उत्तर पूर्व के इस राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने विधानसभा चुनाव में 45 सीट हासिल की थी. लेकिन विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन में सिर्फ 20 मत पड़े. इसे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए अच्छा संकेत माना जा सकता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग से साफ है कि ऐसे कई विधायक हैं, जो भाजपा के खिलाफ नहीं हैं और विपक्ष के भीतर भी उनका (हिमंता बिस्वा सरमा का) दबदबा बढ़ रहा है.
बिहार में राजग के 127 विधायक, लेकिन द्रौपदी मुर्मू को मिले 133 वोट
बिहार में राजग के पास 127 विधायक हैं, लेकिन मुर्मू को 133 विधायकों का समर्थन प्राप्त हुआ. यह बताता है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान के दौरान राजद, कांग्रेस या फिर वाम दल के विधायकों ने पाला बदला है. छत्तीसगढ़ में द्रौपदी मुर्मू के लिए 6 विपक्षी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, वहीं गोवा में यह संख्या 4 रही. छत्तीसगढ़ विधानसभा की सदस्य संख्या 90 है, जिसमें 71 विधायक कांग्रेस के हैं. इसके बावजूद विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 69 मत ही हासिल हुए.
बिहार और छत्तीसगढ़ में यशवंत सिन्हा को मिले मतों की संख्या विपक्ष के लिए चिंता का विषय है. तेजस्वी यादव की राजद उम्मीद कर रही है कि भाजपा और जद (यू) के बीच बढ़ती दरार से उन्हें लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन में सेंध लगाने का मौका मिलेगा, जिसके बाद वह 2025 में नीतीश कुमार की सरकार को गिराने की गति को आगे बढ़ा सकते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के टीएस सिंहदेव, विद्रोह के एक और दौर की तैयारी कर रहे हैं. जहां एक तरफ विपक्ष क्रॉस वोटिंग से हुए नुकसान के आकलन में लगी हुई है, वहीं भाजपा खुद की पीठ यह कह कर थपथपा सकती है कि उनकी तरफ से किसी ने पार्टी लाइन का उल्लघंन नहीं किया.
पश्चिम बंगाल में BJP के सभी विधायकों ने किया मुर्मू के पक्ष में मतदान
मसलन पश्चिम बंगाल में भाजपा के 8 विधायक चुनाव बाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. लेकिन तृणमूल कांग्रेस के 1 विधायक ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट किया. पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेन्दु अधिकारी ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि टीएमसी के 4 विधायकों ने पुष्टि की है कि उनके वोट अवैध माने गए और भाजपा के सभी 71 विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया. गुजरात में विपक्ष के 10 विधायकों ने द्रोपदी मुर्मू के लिए वोट किया. मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 19 रहा. इसी तरह महाराष्ट्र में भी 19 गैर राजग विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में मतदान दिया.
मेघालय में 7, पंजाब में 2, राजस्थान और ओडिशा में 1-1 गैर भाजपा वोट मुर्मू के समर्थन में पड़े. उत्तर प्रदेश में विपक्ष के 12 और उत्तराखंड में 2 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. यही नहीं केरल जहां भाजपा का 1 भी विधायक नहीं है, वहां पर भी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में एक वोट पड़ा है. भाजपा के सूत्र कहते हैं कि पार्टी अब लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने के लिए क्रॉस वोटिंग के रुझानों का अध्ययन करेगी. इस डेटा से वह अहम सुराग हासिल हो सकते हैं, जिससे 2024 की बड़ी लडाई का रुख बदल सकता है.
प्रभावी नेतृत्व के अभाव में तेजी से टूट रही है कांग्रेस पार्टी: भाजपा नेता
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि हम हमेशा से जानते थे कि कांग्रेस टूट रही है, लेकिन एक प्रभावी नेतृत्व के अभाव में, ऐसा लगता है कि यह काफी तेजी से हो रहा है और कांग्रेस ने अब तक जो कमाया है उसे खोती जा रही है. इस मतदान के बाद कांग्रेस और तथाकथित संयुक्त विपक्ष को अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो जाना चाहिए. सूत्रों का कहना है कि अगर हम एक भी अतिरिक्त वोट पाते हैं, तो इसका यही मतलब है कि हम सही कर रहे हैं. हमारे लोग कहीं भी नहीं गए, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और अन्य राज्यों में आदिवासियों की अच्छी खासी आबादी है और उनका नेतृत्व करने वाले नेता भी आदिवासी हैं. वह दिल से एक आदिवासी को ही समर्थन देना चाहेंगे.