राष्ट्रपति भवन में उस समय हिमाचल के सिरमौर जिले का रुतबा बढ़ गया, जब छोटे से गांव कोलर के रहने वाले उमेश कुमार ने आईआरएस (Indian Revenue Service) व सीपीडब्ल्यूडी (Central Public Works Department) के 76 वें बैच के समक्ष अपनी ट्रेनिंग का अनुभव साझा किया। शुद्ध हिंदी में उमेश कुमार के वक्तव्य ने हर किसी को उनकी ओर आकर्षित किया।
पांवटा साहिब उपमंडल के कोलर गांव के रहने वाले उमेश कुमार 2020-21 बैच के आईआरएस अधिकारी (IRS officer) है। अहम बात यह है कि उमेश कुमार हिमाचल के ऐसे पहले दृष्टिबाधित है, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को पास किया। उमेश कुमार ने 397वां रैंक हासिल कर सफलता की एक शानदार इबारत लिखी।
उमेश कुमार ने राष्ट्रपति के समक्ष गांव के सरकारी स्कूल से JNU व UPSC तक का सफर साझा किया। उमेश ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के जिला सिरमौर के गांव से कोलर से संबंध रखते है। गांव के स्कूल से देश की प्रथम नागरिक (राष्ट्रपति) के समक्ष तक की इस यात्रा में माता-पिता का अमूल्य एवं अविस्मरणीय सहयोग व सानिध्य रहा है। एक दृष्टिबाधित व्यक्ति (blind person) होने के कारण जीवन में अलग तरह की चुनौतियां उपस्थित होती रही, परंतु गांव के विद्यालय से JNU जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय और सिविल सेवा परीक्षा की सफलता तक पहुंचना, इस बात का द्योतक है कि हमारा राष्ट्र प्रतिकूल परिस्थितियों में भी समस्या के समाधान की तरफ उन्मुख रहा है। ऐसे राष्ट्र की सेवा का अवसर मिलना उनके लिए लिए परम सौभाग्य की बात है।
आपको बता दें कि भारतीय राजस्व सेवा के 76वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (2020 और 2021 बैच) के सहायक कार्यकारी अभियंताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
उमेश कुमार के सफलता की कहानी
उमेश कुमार हिमाचल के पहले दृष्टिबाधित है, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा पास की। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 397 वां रैंक प्राप्त कर इतिहास रचा। उमेश ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) से राजनीति विज्ञान में पीएचडी (PhD) की हैं।
उमेश कुमार ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान (Political Science) में एमए की है। सदैव प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले उमेश जब शिमला से एमए कर रहे थे तो वह पूरी तरह दृष्टिबाधित होने के बावजूद सारी पढ़ाई लैपटॉप (Laptop) के जरिए करते थे। यही नहीं, पहले सेमेस्टर में उन्होंने यूजीसी नेट (UGC NET) उत्तीर्ण कर लिया था और दूसरे सेमेस्टर में जेआरएफ (JRF) की कठिन परीक्षा पास कर इतिहास बनाया था।
पांवटा साहिब के कोलर के रहने वाले उमेश कुमार के पिता दलजीत सिंह किसान हैं और माता कमलेश कुमारी सेवानिवृत्त शिक्षिका (retired teacher) हैं। एमए करने के दौरान उमेश राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर (assistant professor) के लिए पात्रता हासिल कर चुका था। लेकिन उसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में जाने की बजाए सिविल सर्विसेज (Civil services) था। जेएनयू में पढ़ाई करने के साथ-साथ वहां सिविल सर्विसेज की तैयारी भी करता रहा।
ये बोली राष्ट्रपति …
इस दौरान भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के लिये प्रत्यक्षों करों का संकलन करना बहुत महत्त्वपूर्ण दायित्व है, जिसके लिये अत्यंत दक्षता और पारदर्शिता की जरूरत होती है। सरकार इन करों को विकास परियोजनाओं में खर्च करती है और नागरिकों का कल्याण सुनिश्चित करती है। सरकार के लिये संसाधन जमा करने में आईआरएस अधिकारियों की अहम भूमिका होती है और इस तरह वह आधार तैयार होता है, जिस पर शासन के अन्य ढांचों का निर्माण होता है।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को सलाह दी कि करदाता न केवल राजस्व के स्रोत हैं, बल्कि वे राष्ट्र-निर्माण में हमारे साझीदार भी हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे ऐसा माहौल तैयार करें, जो कर संकलन तथा करदाताओं, दोनों के लिये सहायक व मित्रवत हो।
सहायक कार्यकारी अभियंताओं को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि सीपीडब्लूडी सार्वजनिक इमारतों, सरकारी कार्यालयों और आवास के निर्माण व रखरखाव के लिये जिम्मेदार है। जो लोग प्रशासन और शासन चलाते हैं उनके कारगर कामकाज के लिये भी जो अन्य परियोजनाएं बुनियादी हैसियत रखती हैं, उनका दायित्व भी सीपीडब्लूडी पर है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की तेज प्रगति के कारण सड़कों, राजमार्गों, हवाई अड्डों जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं तथा अस्पतालों, शिक्षा संस्थानों और सरकारी दफ्तरों जैसी जन संस्थाओं की मांग में तेजी आई है।
उन्होंने कहा कि सीपीडब्लूडी अधिकारियों व सहायक कार्यकारी अभियंताओं का लक्ष्य होना चाहिये कि वे ऐसी सुविधाओं का निर्माण करें, जो न केवल वर्तमान की जरूरतों को पूरा करें, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिये भी सतत भविष्य सुनिश्चित करें। राष्ट्रपति ने उनसे आग्रह किया कि वे परियोजनाओं को अधिक ऊर्जा-दक्ष, सतत और वातावरण-अनुकूल बनाने के लिये अभिनव तरीकों की पड़ताल करें।