नई दिल्ली. रुपया इस वर्ष में अब तक लगभग 7 फीसदी गिरकर डॉलर के मुकाबले 79.74 तक पहुंच गया है. इसकी वजह से आयात महंगा हुआ है और मुद्रास्फीति बढ़ी है. रुपये में गिरावट केवल महंगाई नहीं बढ़ा रही बल्कि स्टार्टअप्स को भी प्रभावित कर रही है. इससे स्टार्टअप्स का मूल्यांकन और उनकी फंडिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये में गिरावट के साथ-साथ अन्य आर्थिक कारकों ने भी स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग पर नकारात्मक असर डाला है.
मेगाडेल्टा कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर तरुण शर्मा ने कहा, “भारत में वीसी (वेंचर कैपिटल) फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा डॉलर में किया जाता है. जिसमें फंड उनके पोर्टफोलियो का मूल्यांकन डॉलर में करते हैं और उसी में मुनाफा कमाते हैं. इसलिए, रुपये-डॉलर की दर में किसी भी तेज उतार-चढ़ाव के कारण पोर्टफोलियो मूल्यों में बदलाव होता है.” उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपये की चाल के अलावा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और विकसित बाजारों में ग्रोथ व मुद्रास्फीति की चिंताएं भी इसमें अपना योगदान दे रही हैं.
शेयर मार्केट में गिरावट
तरुण शर्मा कहते हैं कि रुपये में गिरावट के साथ अन्य कारकों की वजह शेयर मार्केट में तेज गिरावट भी देखने को मिली है. यही कारण है कि निवेश बहुत संभलकर जोखिम ले रहे हैं. इससे पब्लिक मार्केट वैल्युएशन और उभरते बाजारों में फंड एलोकेशन में गिरावट देखने को मिली है. शर्मा के अनुसार, संभलकर जोखिम लेने की सोच और रुपये की गिरावट ने मिलकर स्टार्टअप्स के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.
वैल्युएशन पर भी पड़ रहा असर
डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही गिरावट का असर अब स्टार्टअप्स के प्रदर्शन पर भी दिखने लगा है. भारतीय मुद्रा में कमजोरी आने से यूनिकॉर्न (Unicorn) बन चुके स्टार्टअप के वैल्युएशन पर भी जोखिम मंडराने लगा है. आईवीकैप वेंचर के एडवाइजर, संस्थापक व मैनेजिंग पार्टनर विक्रम गुप्ता का कहना है कि इससे सभी स्टार्टअप की वैल्युएशन पर असर पड़ेगा और भारतीय स्टार्टअप के लिए यूनिकॉर्न तक पहुंचने का रास्ता लंबा हो जाएगा.
कैसे हो रहा वैल्युएशन प्रभावित
बकौल गुप्ता, भारत में कारोबार करने वाले स्टार्टअप को रुपये में राजस्व मिलता है और इसका 10 गुना वैल्युएशन करके ही एक अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया जाता है. अभी तक 75 रुपये के भाव पर र्स्टाटअप को 750 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाना होता था, जो 10 गुना वैल्युएशन के साथ 7,500 करोड़ रुपये या एक अरब डॉलर तक पहुंच जाता है. फिलहाल डॉलर-रुपये का विनिमय करीब 80 रुपये के आसपास है. यानी अब स्टार्टअप को एक अरब डॉलर का वैल्यूएशन हासिल करने के लिए 800 करोड़ रुपये के राजस्व की जरूरत होगी.