रोपा गांव के विस्थापित आज भी झेल रहे हैं एनटीपीसी कोलडैम की विस्थापना का दंश

एनटीपीसी कोलडैम के विस्थापित विस्थापना का आज भी दंश झेल रहे हैं। सुंदरनगर और बिलासपुर जिला की सीमा पर सतलुज नदी पर बने 800 मेगावाट के हाइड्रो प्रोजेक्ट से जब पानी ओवर लो हो जाता है तो एनटीपीसी कोलडैम प्रबंधन को ओवर लो हुए पानी को समाहित करना पड़ता है।

लेकिन उस छोड़े हुए ओवर लो पानी से साथ में सटे ग्राम पंचायत ध्वाल के रोपा गांव के विस्थापितों को आज भी परेशानियों का सामनाकरना पड़ रहा है। इस गांव के तकरीबन आधा दर्जन से अधिक लोग डैम से छोड़ें गए ओवर लो पानी की समस्या से सीधे तौर पर प्रभावित होकर रह गई है और यह समस्या पिछले तकरीबन 2015 से नियमित रूप से जारी है। इस दौर में मंडी जिला सहित सुंदरनगर उपमंडल में डीसी और एसडीएम तीन से चार बदल गए और सरकारें भी कई आई और चली गई। लेकिन विस्थापितों की समस्याओं का समाधान किसी भी पटल पर नहीं हो सका है।

जिसके चलते जब भी एनटीपीसी कोलडैम के पानी का लोर ज्यादा हो जाता है। तो उस पानी की समस्या से विस्थापित रोपा के ग्रामीण समस्या से जूझरहे हैं। उक्त क्षेत्र के लोग ना तो रात को चैन की नींद सो पाते हैं और ना ही जीवन यापन ढंग से व्यतीत कर पाते हैं। कुल मिला करके जान हथेली पर रखकर डर डर के जिंदगी जीने को उक्त क्षेत्र की जनता मजबूर होकर रह गई है। वही पुश्तैनी जमीन को भी संजोए रखने के लिए उक्त क्षेत्र की जनता का अहम रोल रहा है।

प्रभावित लोगों में बाबूराम चेतराम बाबूराम गणपत राम सोहन सिंह सहित अन्य आधा दर्जन से अधिक प्रभावित परिवारों का कहना है कि या तो सरकार एनटीपीसी कोलडैम प्रबंधन से इस प्रभावित क्षेत्र की जमीन को अधिग्रहण करके उन्हें दूसरी जगह जीवन बसर करने के लिए आगे आए या उनकी जान माल की सुरक्षा का जिमा ले।

इस दौरान कोई भी अनहोनी घटना क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ घटित होती है। उसके लिए एनटीपीसी कोल डैम प्रबंधन, जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार सीधे तौर पर जि मेदार होगी। वहीं विधायक राकेश जंवाल का कहना है कि इस मसला उनके ध्यान में है। एनटीपीसी और प्रशासन को जनहित की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए समय रहते उचित कार्यवाही अमल में लाने के निर्देश दिए गए है।