बर्मिंघम में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने अब तक 20 मेडल अपने नाम कर लिए. देश के खाते में 6 गोल्ड, 7 सिल्वर और 7 कांस्य पदक शामिल हैं. भारत के खाते में एक और मेडल युवा जूडो खिलाड़ी तूलिका मान ने डाला.
23 वर्षीय तूलिका ने जूडो में 78 प्लस किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया. उनका मुकाबला फ़ाइनल में स्कॉटलैंड की सारा एडलिंगटन से था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन, उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की झोली में एक और मेडल डाल दिया है.
बचपन में पिता गुजर गए
तूलिका मान का जन्म 9 सितंबर 1998 को दिल्ली में हुआ. वो जब दो साल की थीं तब उनके पिता सतबीर मान का देहांत हो गया. बिजनेस में रंजिश के चलते उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
पुलिस चौकी में रहकर की पढ़ाई
तूलिका की जिम्मेदारी अब उनकी मां पर आ गई. उनकी मां अमृता मान दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हैं. पति के गुजरने के बाद अमृता को अकेले संभालना उनके लिए बड़ा मुश्किल था. उनकी जॉब ही अब घर का खर्च उठा सकती थी. नौकरी करते हुए उन्हें समय नहीं मिल पाता था. वो तूलिका को स्कूल छोड़ने जाती और स्कूल से छुट्टी होने के बाद पुलिस चौकी ले आतीं. तूलिका का अधिकतर समय पुलिस चौकी में गुजरता रहा. वो वहीं रहकर पढ़ाई करती और खेलती भी थीं.
मां ने ऐसे माहौल से दूर रखने के लिए उनका जूडो क्लास में दाखिला करा दिया. प्रशिक्षण के समय तूलिका को जूडो से बहुत लगाव हो गया. वो इसी में अपना करियर बनाने का सपना देखने लगीं.
30 किलो वजन घटाया, तब मिला मौक़ा
तूलिका देश के लिए मेडल लाना चाहती थीं, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स से ठीक एक साल पहले तक उन्हें संभावित खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया क्योंकि वह फिट नहीं थीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय तूलिका का वजन 115 किलो था. उन्होंने मेहनत कर अपना वजन घटाकर 85 किलो किया. इसके बाद भी उन्हें संभावित लिस्ट में शामिल नहीं किया गया. तूलिका टूट चुकी थीं. उन्होंने गेम छोड़ने का भी मन बना लिया था. फिर उनकी मुलाकात कोच यशपाल सोलंकी से हुई. इसके बाद से ही उनका भारतीय टीम में शामिल होने का रास्ता क्लियर हो पाया था.
अब तूलिका ने देश के लिए सिल्वर जीतकर खुद को साबित कर दिया है कि वो एक प्रतिभावान खिलाड़ी हैं. उन्होंने चार बार नेशनल चैंपियनशिप जीती है. विश्वकप में भी सिल्वर मेडल अपने नाम किया. वहीं जूनियर स्तर पर दो कांस्य पदक भी जीत चुकी हैं.