नई दिल्ली. भारत के डिजिलट करेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स पर ईडी की छापेमारी और 64 करोड़ रुपये फ्रीज किए जाने के बाद अमेरिकी क्रिप्टो एक्सचेंज बायनेंस ने कहा है कि उसकी वजीरएक्स में कोई हिस्सेदारी नहीं है.
कंपनी के सीईओ शांगपेंग जाओ ने ट्विटर पर लिखा की उनकी कंपनी वजीरएक्स की मालिक नहीं है. उन्होंने बताया कि 2019 में वजीरएक्स के अधिग्रहण की डील शुरू हुई थी लेकिन ये कभी पूरी नहीं हो पाई. जाओ ने लिखा कि वजीरएक्स का परिचालन करने वाली जनमाई लैब्स में बायनेंस की कोई हिस्सेदारी नहीं है.
उन्होंने साथ में यह भी बताया कि बायनेंस उन्हें वॉलेट सर्विस के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि वजीरएक्स पर किसी भी तरह के एक्सचेंज, यूजर साइनअप, केवाईसी, ट्रेडिंग और विड्रॉल के लिए वजीरएक्स ही जिम्मेदार है. जाओ ने वजीरएक्स के साथ नाम जोड़े जाने को लेकर दुख जताया और कहा कि वह ईडी की हरसंभव मदद करने के लिए तैयार हैं.
क्या है पूरा मामला
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने शुक्रवार को कहा कि वजीरएक्स के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में उसने 64.67 करोड़ रुपये के बैंक में जमा पर रोक लगाई है. वजीरएक्स पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट यानी फेमा (FEMA)के उल्लंघन का आरोप लगा है. ईडी ने कहा कि उसने वजीरएक्स की मालिक जनमाई लैब प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 3 अगस्त को हैदराबाद में छापेमारी की कार्रवाई की है. क्रिप्टो एक्सचेंज के खिलाफ एजेंसी की जांच भारत में चल रही चीन की कई कर्ज देने वाले ऐप (मोबाइल एप्लिकेशन) के खिलाफ जारी जांच से जुड़ी है. बता दें कि ईडी ने पिछले वर्ष वजीरएक्स पर फेमा के उल्लंघन का आरोप लगाया था.क्या है कैश रिजर्व रेश्यो, अर्थव्यवस्था पर कैसे होता है इसका असर?
ईडी ने कहा, ‘‘वजीरएक्स के निदेशक समीर म्हात्रे की वजीरएक्स के डेटाबेस तक दूर रहते हुए भी पूरी पहुंच थी. इसके बावजूद वह क्रिप्टो एसेट्स से संबंधित ट्रांजैक्शन का विवरण नहीं दे रहे हैं. ये एसेट्स इंस्टैंट लोन मुहैया कराने वाली ऐप के जरिए की गई अपराध की कमाई से खरीदी गई हैं.’’ पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि वजीरएक्स के खिलाफ फेमा के तहत 2 मामलों में जांच चल रही है.