समय के साथ लोगों की सोच भी बदलने लगी है और इस बदलती सोच का ही नतीजा है कि अनूठे स्टार्टअप अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. ऐसा ही एक अनूठा स्टार्ट अप देखने को मिला राजस्थान के कोटा शहर में. यहां के कृषि महोत्सव में गोबर वाला डॉट कॉम नामक स्टार्टअप ने लोगों को खूब आकर्षित किया.
गोबर से करते हैं सेना की वर्दी तैयार
News 18
ये स्टार्ट अप है आईआईटीयन सत्यप्रकाश वर्मा का. सत्यप्रकाश ये दावा करते हैं कि वे डीआरडीओ के साथ मिलकर सेना के जवानों के लिए वर्दी तैयार कर रहे हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि ये वर्दी गोबर से निकले नैनो सेलूलोज से तैयार की जाती है. उनका कहना है कि वे गाय के गोबर से सैनिकों की वर्दी तैयार कर रहे हैं. यह वर्दी सैनिकों के लिए काफी फायदेमंद होगी.
ये हैं इस वर्दी के खास गुण
Zee
News 18 की रिपोर्ट में बताया गया कि सत्यप्रकाश वर्मा के अनुसार ये गोबर की मदद से तैयार की गई वर्दी रेगिस्तान में जवानों को ठंडक पहुंचाएगी. इसके साथ ही ये चोट लगने के बाद एंटी सेप्टिक का काम भी करेगी. वर्मा ने इस खास वर्दी का एक गुण ये भी गिनवाया कि इसके खराब होने के बाद इसे खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.
वर्मा के अनुसार वे गोबर से अल्फा और नैनो सेलूलोज बनाते हैं, जो एक तरीके का नैनो फाइबर है. इस फाइबर से नैनो टैक्सटाइल तैयार किया जाता है, जिससे वर्दी तैयार होती है. बताया गया कि गोबर से बनने वाली यह वर्दी वजन में भी काफी हल्की होती है. इसके साथ ही नैनो बैक्टीरियल मटेरियल युक्त ये वर्दी सैनिक के घायल होने पर एक पट्टी का काम भी करेगी.
विदेश की नौकरी छोड़ शुरू किया स्टार्ट अप
Gobarwala
सत्यप्रकाश वर्मा कोटा के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि साल 2003 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से केमिकल में बीटेक किया. इसके बाद उन्होंने 2007 में केमिकल से ही पीएचडी की. डिग्री मिलने के बाद उन्हें दुबई की एक मल्टीनेशल ऑयल कंपनी में नौकरी भी मिली लेकिन उनका नौकरी में मन नहीं लगा. जिसके बाद वह भारत वापस लौट आए. देश वापसी के बाद उन्होंने गाय, बकरी, भैंस व सूअर के अपशिष्ट पदार्थों पर रिसर्च किया. इसमें सफल होने के बाद उन्होंने गोबर वाला डॉट कॉम नाम से खुद का स्टार्ट अप शुरू किया.
सत्यप्रकाश वर्मा का दावा है कि उनकी कंपनी विश्व की पहली ऐसी कंपनी है, जिसने गोबर से नैनो सैलूलोज निकालने का पेटेंट कराया है. उनका कहना है कि गोबर से बनाए जा रहे उनके प्रोडक्ट्स की डिमांड केवल भारत ही नहीं बल्कि यूरोप और कनाडा में भी है.