Ujjain Mahakaleshwar Temple: पृथ्वी के केंद्र में स्थापित महाकालेश्वर मंदिर 800 से 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। इस मंदिर से जुड़े कई तथ्य हैं, जो आपको हैरान कर देंगे।
यहां तक की यह कपल सुबह 4 बजे की महाकाल आरती में भी शामिल हुआ। माना जाता है कि उज्जैन 5000 साल पुराना शहर है। जिसे अवंती, अवंतिका, नंदिनी और अमरावती के नाम से जाना जाता है। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े ऐसे कई तथ्य हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है। (photo credit: anushka sharma @instagram and pexels.com)
उज्जैन में ऐसे प्रतिष्ठित हुए महाकाल –
शिवपुराण की कथा के अनुसार, उज्जयिनी में दूषण नाम का राक्षस था। उससे यहां के लोग बहुत परेशान थे। इससे बचने के लिए लोगों ने भगवान शिव से प्रार्थना की। नाराज शिव ने अपनी हुंकार से दूषण राक्षस को भस्म कर दिया। भक्तों की वहीं रुकने की मांग से अभिभूत होकर भगवान वहीं रुक गए और लिंग के रूप में यहां प्रतिष्ठित हो गए। (photo credit: pexels.com)
इसलिए कहते हैं मृत्युंजय महादेव –
श्री महाकालेश्वर को पृथ्वी लोक का राजा कहा जाता है। वह प्रलय, संहार और काल के देवता हैं। वे मृत्यु के मुंह में गए प्राणी को खींचकर वापस ला देते हैं, इसलिए उन्हें मृत्युंजय महादेव कहा जाता है। (photo credit: wikimedia commons.com)
बहुत पुराना है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग –
अगर आप जानना चाहते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कितना पुराना है, तो शिवपुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण के पालक नंद से आठ पीढ़ी पहले महाकाल यहां विराजित हुए थे। इस ज्योर्तिलिंग का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है। वहीं पौराणिक कथाओं की मानें, तो मंदिर द्वापर युग में स्थापित हुआ था, जिसे 800 से 1000 वर्ष प्राचीन माना जाता है। (photo credit: wikimedia commons.com)
अलग-अलग रूपों में भक्तों को देते हैं दर्शन –
यहां महाकाल अपने भक्तों को कई रूपों में दर्शन देते हैं। जैसे शिवरात्रि पर उनका श्रृंगार दूल्हे के रूप में किया जाता है तो श्रावण मास में वो राजा धिराज बनते हैं। इतना ही नहीं दिवाली में महाकाल का आंगन दीपों से सजाया जाता है, वहीं होली में आंगन रंग और गुलाल से रंग जाता है। महाकाल का रूप जो भी हो, उनका हर रूप भक्तों को मोहित कर देता है। (photo credit: wikimedia commons.com)
महाकाल हैं उज्जैन के राजा -
महाकाल को उज्जैन के राजा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां कोई भी रात भर भी टिक नहीं पाया। कहते हैं कि जिस भी व्यक्ति ने ये दुस्साहस करने की कोशिश की उसकी अकस्मात मौत हो गई। बता दें, कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन में रात नहीं बिताते हैं।