शहीद धन सिंह: आजादी की जंग में क्रांतिकारियों का वह ‘कोतवाल’, जिसने अकेले ही अंग्रेजों को चटाई थी धूल

मेरठ: देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जो पहली क्रांति की ज्वाला धधकी थी, वह मेरठ की ही धरती से धधकी थी. आजादी की लड़ाई में मेरठ के क्रांतिकारियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है. जिले के महान क्रांतिकारियों में शहीद धन सिंह कोतवाल गुर्जर का भी नाम सम्मान के साथ लिया जाता है. दरअसल 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की जब शुरुआत हुई थी. तब धन सिंह गुर्जर सदर थाना के कोतवाल थे. कोतवाल रहते हुए धन सिंह ने देश की आजादी की पटकथा लिखी. क्रांतिकारियों में जोश भरने और अंग्रेजों को भगाने के लिए जान पर खेल गए थे.

क्रांतिकारियों को छुड़ाने के लिए लगाई जान की बाजी
इतिहासकार डॉ. नवीन गुप्ता बताते हैं कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती आंदोलन में जिन 85 क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया था. उनको अंग्रेजी हुकूमत द्वारा विक्टोरिया पार्क की जेल में बंद कर दिया गया था. जिसमें पहले से ही 839 क्रांतिकारी बदं थे. इस बात को लेकर शहीद धन सिंह कोतवाल गुर्जर में काफी रोष था. उन्होंने एक रणनीति बनाकर सभी को जेल से छुड़ाया था. तब वह चिंगारी इतनी फैली कि अंग्रेजी अफसरों को भी क्रांतिकारियों ने मार गिराया था.

सदर थाने में लगी है प्रतिमा
शहीद धन सिंह कोतवाल के सम्मान में सदर थाने में एक प्रतिमा भी लगाई गई है. जिसका अनावरण वर्ष 2018 में तत्कालीन यूपी डीजीपी ओपी सिंह द्वारा किया गया था. उद्देश्य यह था कि जो भी लोग थाने आएं, वह सभी आजादी के उस वीर को नमन कर सकें, जिन्होंने देश को आजाद कराने में अहम योगदान दिया था.

एक आवाज पर एकत्रित हो गए थे ग्रामीण
इतिहासकारों का कहना है कि जब यह क्रांति शुरू हुई थी. तो शहीद धन सिंह कोतवाल गुर्जर की एक आवाज पर ही पांचली, लिसाड़ी, गगोल सहित अन्य गांव के सभी ग्रामीण बड़ी संख्या में विक्टोरिया पार्क जेल की तरफ कूच कर गए थे. ग्रामीणों में इतना जोश था कि अपने अन्य साथियों को छुड़ाते हुए सभी दिल्ली की तरफ कूच कर गए थे.