हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक शादी चर्चा का विषय बनी हुई हैं, जहां एक मंदिर में कुरान की आयतों को पढ़ते हुए निकाह जैसे पवित्र रिश्ते से बंधने के लिए दूल्हा और दुल्हन ने कबूल है, कबूल है, कबूल है की स्वीकृति दी. हिंदू मंदिर में मुस्लिम रीति-रिवाजों के साथ हुई इस का शादी के साक्षी बने लोग इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बता रहे हैं.
मंदिर में हुई मुस्लिम रीति-रिवाजों के साथ शादी
बता दें कि इस शादी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के पदाधिकारी भी दूल्हा और दुल्हन को आशीर्वाद देने के लिए शामिल हुए थे. इस अनोखी शादी में हर मजहब के लोगों ने शिरकत किया. हालांकि एक तरफ जहां इसकी सराहना हो रही है, वहीं कुछ इसकी आलोचना भी कर रहे हैं.
दरअसल, शिमला जिले के रामपुर में हुई इस शादी के पीछे की भी कहानी भी काफी रोचक है. सत्यनारायण मंदिर में हुई इस शादी में दुल्हन रामपुर निवासी सबीहा मलिक एवं महेंद्र सिंह मलिक की बेटी नयामत मलिक एमटेक, सिविल इंजीनियर है. नयामत के पति राहुल शेख भी सिविल इंजीनियर हैं, जो चंबा में चुवाड़ी के रहने वाले हैं. दोनों परिवारों की रजामंदी से मंदिर परिसर में यह निकाह करवाया गया है.
मौलवी ने पढ़ाया निकाह, हर धर्म के लोग हुए शामिल
हालांकि, जब बारात मंदिर पहुंची तो उसका हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार स्वागत किया गया, लेकिन शादी के बंधन में बंधने के लिए पंडित के मंत्रोच्चार के बदले मौलाना ने दो गवाहों की मौजूदगी में कुरान की आयतों को पढ़कर उनका निकाह करवाया.
मीडिया खबरों के अनुसार, दुल्हन के पिता महेंद्र सिंह मलिक की रजामंदी के बाद यह निकाह हुआ है. जिसके लिए उन्होंने खुद पूरी तैयारी की थी. मंदिर में हुए इस निकाह में हर धर्म के लोग शामिल होकर एकता और आपसी भाईचारे का संदेश दिया.
दिलचस्प यह है कि मंदिर परिसर में ही आरएसएस का एक कार्यालय मौजूद है. जबकि मंदिर का संचालन विश्व हिंदू परिषद के हाथ में है. बावजूद इसके यह निकाह सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल बन गया.