संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले राजधानी शिमला के मालरोड पर बागबानों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान सैकड़ों बागबानों ने 20 सूत्रीय मांगे पूरी न होने के कारण सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मालरोड पर पुलिस कंट्रोल रूप के सामने काफी देर तक बागबानों का प्रदर्शन चलता रहा। इस प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल थी। मालरोड पर प्रदर्शन कर बागबानों ने धारा 144 का उल्लंघन किया। धारा 144 के उल्लंघन के लिए शिमला पुलिस बागबानों को गाडिय़ों में भरकर बालूगंज थाने ले गई। बालूगंज थाने में भी बागबानों की सरकार के खिलाफ नारेबाजी चलती हैं। भले ही पुलिस बागबानों को गाडिय़ों में उठाकर थाने ले गई, लेकिन जमानती अपराध होने के कारण पुलिस ने बागबानों को गिरफ्तार नहीं किया। जबकि बागबान खुद गिरफ्तारियां देने की मंशा से आए थे। एसपी शिमला मोनिका भुटुंगरू ने बताया कि बागबानों के खिलाफ धारा 144 का उल्लंघन करने के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया हैं, लेकिन किसी भी बागबान को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया हैं।
बागबानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी पीठ पर छुरा घोंपा है, क्योंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीते 28 जुलाई को बैठक में माना था कि बागबानों की मांगें जायज हैं। इसके बाद मुख्य सचिव आरडी धीमान ने भी बागबानों के साथ सचिवालय के घेराव के दौरान बैठक की। इमसें भी कई मांगे पूरी करने का भरोसा दिया गया, लेकिन उनमें से अधिकांश मांगे आज तक धरातल पर लागू नहीं हो पाई। ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि निजी कंपनियों के साथ सरकार की सांठगांठ है। यही वजह है कि अडानी समेत अन्य कंपनियों ने खुद रेट तय किए। संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि एमपीएमसी की मंडियों में सरेआम बागबान लूटे जा रहे हैं। लोडिंग-अनलोडिंग चार्जेज के नाम पर दो से तीन गुणा अधिक रेट वसूले जा रहे हैं।
कंपनियां सरकारी आदेशों को दिखा रही ठेंगा
संयुक्त किसान मंच के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके दावा किया था कि निजी घरानों के सेब के दाम नौणी यूनिवर्सिटी के कुलपति की अध्यक्षता में गठित कमेटी तय करेगी, लेकिन अडानी एग्री फ्रेश कंपनी समेत ज्यादातर निजी घरानों ने सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए स्वयं सेब के रेट तय कर लिए है और सरकार ने बीती रात को ही बेक डेट के एक ऑर्डर निकालते हुए दावा किया कि यह दाम कमेटी द्वारा तय किए गए। उन्होंने इसे बागबानों से धोखा करार दिया है।