नई दिल्ली. गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में किए गए निवेश में हाल-फिलहाल गिरावट आई है. AMFI के आंकड़ों के अनुसार, जून में गोल्ड ईटीएफ में नेट इनफ्लो (आने वाला पैसा) ₹134.83 करोड़ रहा, जो इस साल मई में ₹203.39 करोड़ था. मतलब एक ही महीने में काफी ज्यादा गिरावट देखने को मिली है.
शेयर बाजार के स्टेबल होने से सोने के इनफ्लो में और गिरावट आने की संभावना है. हालांकि, अनिश्चितताओं के बीच हेजिंग फंड के लिए निवेश के लिए गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) अभी भी एक बेहतर विकल्प है. इस सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों में तेजी रही है, क्योंकि गहरी मंदी के स्वर अब धीमे पड़ने लगे हैं. जब मंदी का खतरा टलता है तो बड़े निवेश सेयर बाजार में पैसा लगाना अधिक मुनासिब समझते हैं.
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शेयर बाजार में आई बहार
जून 2022 की तिमाही आय ने सबका ध्यान खींचा है और मुद्रास्फीति के दबाव, भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ती ब्याज दरों से कुछ राहत देखी गई है. पिछले शुक्रवार के कारोबारी सत्र से सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों में लगभग 4-4% की वृद्धि हुई है. पिछले सप्ताह से BSE पर निवेशकों की संपत्ति ₹8.47 लाख करोड़ से अधिक बढ़ गई है. बीएसई का बाजार पूंजीकरण गुरुवार को लगभग ₹2,60,42,730.43 करोड़ था, जोकि 15 जुलाई के ₹2,51,95,472.72 करोड़ से ₹8,47,257.71 करोड़ अधिक है.
सोने में कम हुआ निवेश का फ्लो
लाइव मिंट के अनुसार, गोल्ड की कीमतों और ETFs में गिरावट के बारे में बात करते हुए सैंक्टम वेल्थ की सीआईओ और प्रोडक्ट्स एंड सॉल्यूशंस की को-हेड रूपाली प्रभु ने कहा, “कैलेंडर वर्ष 2021 में गोल्ड ईटीएफ में औसत मंथली इनफ्लो लगभग ₹400 करोड़ था. जनवरी और फरवरी में 2022 शुद्ध बिकवाली हुई थी, लेकिन रूस-यूक्रेन संकट के बाद बाजार में सुधार हुआ और मुद्रास्फीति ने भू-राजनीतिक जोखिम, अस्थिरता और मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में बहुत सारा पैसा निवेशकों ने सोने में डाल दिया. जबकि सोने की कीमतें ज्यादा नहीं बढ़ी हैं, वे पिछले कुछ महीनों में बाजार के बाकी हिस्सों (इक्विटी और बॉन्ड दोनों) के रूप में प्रोटेक्टेड पोर्टफोलियो हैं. अप्रैल में ₹1100 करोड़ का जबरदस्त इनफ्लो हुआ. अब हम इस फ्लो को नॉर्मल होते देख रहे हैं. प्रभु ने कहा, “इक्विटी बाजारों के स्थिर होने से हम उम्मीद करते हैं कि पैसा इक्विटी में चला जाएगा, जिससे सोने का फ्लो और कम हो जाएगा.”
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क्या अभी गोल्ड ETF में निवेश करना सही होगा?
इस सवाल के जवाब में प्रभु ने कहा, “आम तौर पर, सभी निवेशकों को हमेशा सोने के लिए कुछ स्ट्रैटजिक आवंटन करना चाहिए. सोना इक्विटी और डेट के साथ कम को-रिलेट करता है और अनिश्चितता के खिलाफ बचाव के रूप में भी काम करता है. जबकि हम दोनों इक्विटी की उम्मीद करते हैं तो हम यह लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे होते हैं. आने वाले कुछ महीनों में अस्थिरता जारी रह सकती है, क्योंकि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं, ग्लोबल लिक्विडिटी को कम किया जा रहा है और भू-राजनीतिक अनिश्चितता अगले कुछ महीनों तक बनी रह सकती है.जैसे-जैसे डॉलर स्थिर होता है हम सोने की कीमतों में बढ़ोतरी देखेंगे हैं. इसलिए, हम निवेशकों को सोने में निवेश करने का सुझाव देते हैं.”