बर्मिंघम. संकेत महादेव सरगर (Sanket Mahadev Sargar) ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के मेडल का खाता खोल दिया है. उन्होंने वेटलिफ्टिंग के 55 किग्रा वेट कैटेगरी में 248 किग्रा वेट उठाकर सिल्वर मेडल जीता. वे गोल्ड मेडल ने एक किग्रा दूर रह गए. मलेशिया के मोहम्मद अनीद ने 249 किग्रा के साथ गोल्ड जीता.
संकेत ने स्नैच के पहले प्रयास में 107 किग्रा वजन उठाया. दूसरे प्रयास में 111 किग्रा और तीसरे प्रयास में 113 किग्रा का वजन उठाया. क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में संकेत ने 135 किग्रा का वजन उठाया है. दूसरे और तीसरे प्रयास में वे सफल नहीं हो सके और इस दौरान वे चोटिल भी हो गए. वे जब मेडल लेने आए तब उनके हाथ में पट्टी तक बंधी हुई थी. लेकिन इस 21 साल के युवा खिलाड़ी ने मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
संकेत महादेव को यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले संकेत के पिता की पकौड़े और चाय बेचने की दुकान है. उनकी छोटी बहन 17 साल की काजल ने इसी साल जून में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 113 किग्रा के साथ गोल्ड मेडल जीता था. तब इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उनके पिता ने कहा था, हम तो रोज चाय पकौड़े ही बेचते हैं और यही करेंगे. हमारी बेटी तो बड़ा वजन उठाती है और हमें इसकी खुशी होती है. बेटा भी यही कर रहा है
भाई की वजह से बहन आई खेल में
उन्होंने बताया कि मैंने सभी ग्राहकों को अपनी बेटी के करतब के बारे में बताया और सभी ने मुझे बधाई भी दी. अपने पिता के साथ चाय की दुकान पर काम के दौरान रेडियो या अपने फोन पर स्पोर्ट्स कमेंट्री सुनते रहने के कारण काजोल बड़े भाई संकेत के बाद वेटलिफ्टिंग में उतरीं. काजोल ने कहा कि मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि हम एक खेल का अभ्यास करें और जब उन्हें वेटलिफ्टिंग एकेडमी के बारे में पता चला, तो उन्होंने मेरे बड़े भाई का रजिस्ट्रेशन कराया. बाद में मैं भी इसमें शामिल हो गई.
संकेत महादेव सरगर ने जीता सिल्वर मेडल, कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को मिला पहला पदक
संकेत ने 2020 में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 55 किग्रा में गोल्ड मेडल जीता था. तब वे सिर्फ 19 साल के थे. इससे पहले उन्होंने सीनियर नेशनल और खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी गोल्ड जीत चुके थे. तब उन्होंने कहा था, हमारे इलाके के बच्चे शायद ही कोई दूसरा खेल खेलते हैं. जब मैं 13 साल का था, तब मैं वेटलिफ्टिंग में आ गया था. मैं दिन में करीब 12 घंटे ट्रेनिंग करता हूं. इसी मेहनत के बाद मुझे नेशनल कैंप के लिए चुना गया. सिल्वर मेडल जीतने के बाद उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल के अमृत महोत्सव को मेरा यह मेडल समर्पित है.