जय आजाद-जय पच्छाद का नारा देने वाले कांग्रेस के बागी नेता बीते वीरवार को अपनी फरियाद लेकर सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खु और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा सिंह के दरबार पहूंचे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के उपरांत पहले एक मर्तबा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जीआर मुसाफिर स्वयं सीएम और प्रतिभा सिंह से भेंट की गई थी। सकारात्मक परिणाम न आने पर मुसाफिर लाव लश्कर के साथ शक्ति प्रदर्शन दिखाने शिमला पहूंचे।
इस मौके पर बागी नेताओं ने पच्छाद में पुराना कांग्रेस मंडल बहाल करने की मांग उठाई। सीएम ने भी इस मुददे को हाईकमान के समक्ष उठाने की बात करके अपना पल्ला झाड़ दिया। पच्छाद में वर्तमान में कार्यरत मंडल भी अपना शक्ति प्रदर्शन करने शिमला जाने की तैयारी कर रहे हैं। पच्छाद मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि पच्छाद कांग्रेस में बीते चालीस वर्षों से एकाधिकार ही रहा है। किसी को आगे आने का मौका नहीं दिया गया जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। इनका कहना है कि हाईकमान के निर्णय का यदि स्वागत किया होता तो पच्छाद से कांग्रेस की सीट पक्की थी और मुसाफिर किसी अन्य उच्च पद पर विराजमान होते। जिससे मुसाफिर को दबदबा भी कायम रहना था।
हालांकि अभी भी सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। बताया कि राजनीति में संगठन सर्वोपरि होता है, व्यक्ति विशेष नहीं। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रतिभा सिंह ने राजगढ़ जनसभा में कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आने पर मुसाफिर का मान सम्मान कायम रखेगी परंतु मुसाफिर चुनाव लड़ने से नहीं माने।
गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट न मिलने पर जीआर मुसाफिर ने 1982 की तर्ज पर 2022 में आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। कांग्रेस की आपसी लड़ाई के चलते इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला और रीना कश्यप दूसरी बार विधायक बनकर विधानसभा में पहूंची । इसके बावजूद भी कांग्रेस की झोली में 17 हजार से अधिक वोट पड़े।
अहम बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस समिति ने पच्छाद में किसी भी बागी कार्यकर्ताओं को अभी तक पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया है। कांग्रेस के बागी नेताओं की फरियाद हाईकमान के समक्ष कितनी सिरे चढ़ती है। यह सभी विषय भविष्य के गर्भ में हैं, क्योंकि पच्छाद कांग्रेस मंडल भी अब अक्रामक होने के मूड में हो चुकी हैं ।