जो लोग कहते हैं खेती-किसानी में कुछ नहीं रखा है. उन्हें ओड़िशा में बरगढ़ जिले के काटापाली गांव में रहने वाले सुदाम साहू से मिलना चाहिए. सुदाम के पास सरकारी नौकरी का मौका था, मगर उन्होंने खेती करने का फैसला किया और आज इलाके भर में एक प्रगतिशील किसान के रूप में स्थापित हैं. सुदाम साल 2001 से देसी बीज जमा करने का काम कर रहे हैं. आज उनके पास एक हजार से अधिक किस्म के देसी बीज मौजूद हैं.
सुदामा साहू का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ. पिता मजदूरी करके जैसे-तैसे घर का खर्च चलाते थे. एक दिन अचानक उनके पिता की तबीयत खराब हो गई और घर की जिम्मेदारी सुदामा के कंधों पर आ गई. सुदामा कक्षा-7 में रहे होंगे, जब मजबूरन उन्हें खेती और मजदूरी करनी पड़ी. संघर्ष के इन दिनों में उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ते रहे. एक वक्त ऐसा भी आया, जब उनके पास सरकारी नौकरी करने का मौका था, मगर उन्होंने खेती को चुना. इस सफऱ में सुदामा के दादा उनके गुरू बने और उन्हें प्रेरित किया.
खेती के दौरान सुदामा ने एक के बाद एक नए प्रयोग किए और खुद का देसी सीड बैंक तैयार किया, जिसमें 1000 से अधिक वैराइटी के बीज मौजूद हैं. मौजूदा समय में सुदामा खेती से हर साल 40 लाख रुपए का बिजनेस करते हैं.