सोने से जड़ी घोड़ा बग्घी नहीं थी शपथ ग्रहण का हिस्सा, इस शाही गाड़ी में द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति भवन तक लेकर पहुंचे कोविंद

राष्ट्रपति मुर्मू परंपरा का पालन करते हुए कोविंद को उनके नए आवास 12, जनपथ पर ले गईं, जहां कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान रहते थे। कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद के जनपथ रोड पर अपने नए आवास के लिए राष्ट्रपति भवन से निकलने से पहले वहां मौजूद उपराष्ट्रपति नायडू, प्रधानमंत्री मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की।

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नयी दिल्ली: राष्ट्रपति की स्वर्ण जड़ित परंपरागत बग्घी (घोड़ा गाड़ी) सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा नहीं थी। निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शपथ ग्रहण समारोह के लिए मुर्मू को राष्ट्रपति भवन से संसद भवन तक लिमोजिन गाड़ी में ले गए। शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू काली लिमोजिन में कोविंद के साथ वापस आईं और खुली मारुति जीप पर सवार होकर राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक कार्यक्रमों में बग्घी का इस्तेमाल बंद होने के तीन दशक बाद वर्ष 2014 में राष्ट्रपति की बग्घी परंपरा को पुनर्जीवित किया। उन्होंने वर्ष 2014 में ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह में भाग लेने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया था। उनके उत्तराधिकारी कोविंद ने परंपरा को जारी रखा और उन्होंने वर्ष 2017 में भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया था।
लगभग 30 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत फखरुद्दीन अली अहमद ने राष्ट्रपति भवन के निकास द्वार तक पहुंचने के लिए बग्घी का इस्तेमाल किया था, जहां से उन्होंने समारोह में भाग लेने के लिए एक कार में यात्रा की थी। हालांकि, खुली बग्घी को तब सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सुरक्षा खतरे के रूप में देखा गया था, जिसके बाद इस पारंपरिक गाड़ी के स्थान पर बुलेट-प्रूफ कार को लाया गया। राष्ट्रपति की बग्घी का सबसे पहले इस्तेमाल ब्रिटिश शासन के दौरान वायसराय द्वारा किया गया था, जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक के साथ स्वर्ण अलंकृत एक काली गाड़ी होती थी जिसे छह घोड़ों द्वारा खींचा जाता था।

आजादी के बाद यह बग्घी राष्ट्रपति भवन के पास रही। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में निवर्तमान राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी), भारतीय सेना की घुड़सवार सेना रेजिमेंट, की अंतिम सलामी ली और इस दौरान मुर्मू उनके बाईं ओर खड़ी थीं। कोविंद ने खुली मारुति जीप में सवार होकर गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुख सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।