कोलकाता. अर्पिता मुखर्जी और पार्थ चटर्जी के बीच घनिष्ठ संबंध उनके पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री बनने से बहुत पहले शुरू हो गए थे. दोनों ने संयुक्त रूप से बीरभूम जिले के बोलपुर-शांतिनिकेतन में एक भूमि खरीदी थी, जोकि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध है.
करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने बोलपुर-शांतिनिकेतन के फुलदंगा इलाके में मुखर्जी के नाम की एक आलीशान हवेली के दस्तावेज हासिल किए हैं. हवेली का नाम ‘एपीए’ है -जिसमें दोनों के नामों की झलक मिलती है.
फुलडंगा इलाके के निवासियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने चटर्जी और मुखर्जी को कई बार ‘एपीए’ में एक साथ आते देखा है. ईडी के सूत्रों ने कहा कि हालांकि वर्तमान में हवेली मुखर्जी के नाम पर पंजीकृत है, लेकिन जिस जमीन पर हवेली बनी है, उसके पिछले रिकॉर्ड से चटर्जी के जुड़ाव का पता चलता है.
पश्चिम बंगाल भूमि और भूमि सुधार, और शरणार्थी, राहत और पुनर्वास विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, लगभग सात कठों की भूमि, जिस पर हवेली का निर्माण किया गया है, 2012 में मुखर्जी और चटर्जी द्वारा संयुक्त रूप से कोलकाता स्थित बंगाली परिवार से 20 लाख रुपये की कीमत पर खरीदी गई थी.
हालांकि हवेली के निर्माण के बाद 2020 में इसका म्यूटेशन कर दिया गया था और वह सर्टिफिकेट सिर्फ मुखर्जी के नाम से जारी किया गया था. इससे स्पष्ट है कि चटर्जी के शिक्षा मंत्री बनने से काफी पहले उनका जुड़ाव था. ईडी के सूत्रों ने कहा कि यह जिले की एकमात्र संपत्ति नहीं है जिसमें चटर्जी और मुखर्जी की आर्थिक संलिप्तता है. ईडी के एक अधिकारी ने कहा, “इस तरह की कई और संपत्तियां फिलहाल हमारी जांच के दायरे में हैं और आने वाले दिनों में सभी विवरण सामने आ जाएंगे.”