हम ऐसी चीज की खोज क्यों कर रहे हैं जिसका शायद अस्तित्व ही ना हो

डार्क मैटर (Dark Matter) के अस्तित्व की वैज्ञानिक रूप से अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है. फिर इसकी व्याख्याएं हैं और वैज्ञानिकों ने तो इसका यहां तक अनुमान लगा लिया है कि ब्रह्माण्ड (Universe) में पदार्थ का 80 प्रतिशत हिस्सा डार्क मैटर ही है. आलम यह है कि वैज्ञानिक अभी तक इस रहस्यमयी पदार्थ को सही तरह से परिभाषित करने की स्थिति में ही नहीं हैं. लेकिन हैरानी की बात हैकि वे इसकी खोज में, इसके अस्तित्व को सिद्ध करने की कोशिश शिद्दत से कर रहे हैं. यहां तक कि इसकी खोज में पिछले महीने ही काम शुरू करने वाले जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) तक की भी मदद ली जा रही है. सवाल यह है कि आखिर वैज्ञानिक डार्क मैटर के पीछे क्यों पड़े हैं.

कैसे और कब आई डार्क मैटर की अवधारणा
19वीं सदी में स्कॉटआइरिश भौतिकविद लॉर्ड केल्विन ने हमारी गैलेक्सी मिल्कीवे के भार का अनुमान लगाने का प्रयास किया. इसके लिए वे गैलेक्सी के केंद्र के पास तारों की गति के आंकड़ों का उपयोग कर रहे थे. उन्होंने पाया कि इन आंकड़ों में गड़बड़ी या असामान्यता है और गैलेक्सी जितनी तेजी से घूमनी चाहिए उससे कहीं ज्यादा तेजी से घूम रही हैं.  सैद्धांतिक रूप से यह माना गया कि इसके लिए एक तरह का अदृश्य पदार्थ जिम्मेदार है और यह दूसरी गैलेक्सी पर लागू होनी चाहिए.

तारों का घूर्णन
इसमें भी अजीब बात यह पाई गई है तारे आंकलन की गई गतियों से ज्यादा तेज गति से यात्रा कर रहे हैं और ऐसा गैलेक्सी के किनारों पर ज्यादा हो रहा है. तारे वास्तव में ढीले होकर दूर बिखर जाने चाहिए थे, जबकि ऐसा नहीं हो रहा है. जब हम की पत्थर को धागे से बांध कर तेजी से घुमाते हैं तो एक गति सीमा के बात पत्थर छिटक कर दूर चला जाता है क्यों कि तब धागे में पत्थर को रोके रखने की क्षमता कम पड़ जाती है.

डार्क मैटर पर नहीं लगता हैं कई बल
लेकिन खगोलविदों ने पाया है कि तारे घूम रहे हैं और गैलेक्सी उन्हें थामने में सफल है जबकि कायदे से उन्हें टूट कर दूर छिटक जाना चाहिए था. अभी इसकी व्याख्या वे केवल डार्क मैटर के जरिए कर पा रहे हैं. लेकिन इसके अलावा भी कई तरह के विसंगतियां हैं जैसे मिल्की वे सहित कई गैलेक्सी के आकार की व्याख्या नहीं हो सकी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि डार्क मैटर विद्युतचुंबकीय बल, जैसे प्रकाश, एक्स रे, रेडियो आदि तरंगों से अंतरक्रिया नहीं करता है. इसलिए हम इसे पकड़ या पहचान नहीं पाते हैं. इसके केवल गुरुत्व प्रभाव को ही समझा जा सकता है.

लार्ज हाड्रोन कोलाइडर
इसके बाद भी डार्क मैटर की खोज के प्रयास चल रहे हैं. CERN के लार्ज हाड्रोन कोलाइडर यहीं से परिदृश्य में आ जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह डार्क मैटर की खोज करने का एक अच्छा अवसर देता है. एक साल पहले एलएचसी ने हिग्स बोसोन कण की खोज कर भौतिकी में कण के मानक प्रतिमान को सिद्ध किया था. यह कण लंबे समय से छिपा हुआ था जिसे सिद्ध नहीं किया जा सका था. इस प्रतिमान के अनुसार ब्रह्माण्ड का सबकुछ कुछ मूल कणों से बने हैं जो मूल बल- तीव्र बल, क्षीण बल, विद्युतचुंबकीय बल और गुरुत्व जैसे बलों से निर्देशित होते हैं.

डार्क मैटर के रहस्य
शोधकर्ताओं का कहना है कि एलएचसी डार्क मैटर के रहस्य को सुलझा सकता है. फिर भी संदेह किया जाता है कि डार्क मैटर मानक प्रतिमान के कणों की तरह नहीं होगा. वह बहुत कमजोर तरह से अंतरक्रिया करता होगा. वहां विद्युत चुंबकत्व से अंतरक्रिया नहीं कर सकता  ना ही वह तीव्र बल से अंतरक्रिया करता होगा. वह क्षीण बल से ही अंतरक्रिया करता होगा जिससे रेडियोधर्मिता होती है.

कणों का टकराव और ऊर्जा
कोलाइडर में कणों का टकारव पैदा किया जाता है जिससे पैदा हुए अवशोषों को डिटेक्टर पकड़ते हैं. अगर मूल कणों में टकराव पैदा किया जाए तौ वे टूट कर डिटेक्टर पर आ सकते हैं जिससे पता चल सकता है कि मूल कण कि अन्य छोटे कणों से बना है. CERN में काम करने वाले आंद्रे डेविड बताते हैं कि टकारव के बाद ऊर्जा गायब होती है और हो सकता है कि वह डार्क मैटर में बदल जाती हो. हिग्स बोसोन भार वाले तत्व से अंतरक्रिया करता है इसलिए डार्क मैटर का भी भार होना चाहिए जिससे गैलेक्सी के प्रभावों की व्याख्या की जा सकती है.

वैज्ञानिक दलील देते हैं कि अगर ब्रह्माण्ड में कोई अदृश्य बल है, तो हम उसका पहले ही पता लगा चुके होते. चूंकि ऐसा नहीं है, इससे पता चलता है कि हमें मानक प्रतिमान से बाहर सोचना होगा. मोर्डेहाई मिलग्रोम ने गुरुत्व का एक वैकल्पिक सिद्धांत दिया है जिसके मुताबिक गुरुत्व बल गैलेक्सी के क्रोड़ से अलग अलग दूरी पर अलग तरह का बर्ताव करता है. इस सिद्धांत के मुताबिक बल जब कमजोर होता है तब वह अलग बर्ताव करता है जैसे की वह गैलेक्सी के किनारों पर करता है. इस सिद्धांत के पैरोकार कहते हैं कि यह गैलेक्सी के घूर्णन और तारों की गति की न्यूटन के सिद्धांत से बेहतर व्याख्या करती है. लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि क्या हम डार्क मैटर या मिलग्रोम के सिद्धांत को सिद्ध कर भी सकते हैं या नहीं.