हम बच्चे नहीं हैं जो ऐसी दलील पर यकीन कर लेंगे… जब आर्मी अफसर पर भड़के सुप्रीम कोर्ट जज, बोले- अगली बार सीधे जेल भेजेंगे

ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से सिविलियन को जमीन सौंपने के आदेश के बावजूद सेना की आनाकानी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि जनरल कमांडिंग ऑफिसर का नाम बताइए, हम उन्हें जेल भेजेंगे। मामला सिकंदराबाद में तेलंगाना-आंध्रा सब एरिया के पास जमीन से जुड़ा है।

SUPREME COURT
नई दिल्ली : निचली अदालत के फैसले का जानबूझकर पालन नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सेना के एक बड़े अफसर को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने अफसर को जेल तो नहीं भेजा लेकिन कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में उनके खिलाफ फिर शिकायत मिली तो निश्चित तौर पर जेल जाना होगा। जब अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने मामले में सेना के बचाव में दलील देने की कोशिश की तो कोर्ट ने फटकारते हुए कहा कि हम बच्चे नहीं हैं जो ऐसी दलीलों पर यकीन कर लेंगे।

क्या है मामला
दरअसल, मामला सेना और एक सिविलियन के बीच जमीन विवाद का है। सिकंदराबाद में तेलंगाना-आंध्रा सब एरिया (TASA) ने एक सिविलियन की जमीन पर बनी चारदीवारी को गिरा दिया था। विवादित जमीन 9 एकड़ की है। इस मामले में सिकंदराबाद की ट्रायल कोर्ट ने सिविलियन के पक्ष में फैसला दिया था। कोर्ट ने सेना को आदेश दिया कि वह जमीन को सिविलियन को सौंपे और गिराई गई चारदीवारी को फिर से बनवाए। सेना ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहां भी उसे झटका लगा। अब केंद्र सरकार और सेना ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए TASA के जनरल कमांडिंग ऑफिसर (GOC) को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि दोबारा शिकायत मिली तो जेल भेज देंगे।

हर अदालत में जमीन पर सेना का दावा खारिज हुआ इसके बाद भी आप (GOC) यह सोचते हैं कि आप सिविलियन को बेदखल करने के लिए सेना भेज सकते हैं। हमें अफसर का नाम बताइए, हम उसे जेल भेजेंगे।
सुप्रीम कोर्ट

अफसर का नाम बताइए, हम जेल भेजेंगे : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जमीन को सिविलियन को सौंपने के निचली अदालत के आदेश के फैसले का जानबूझकर उल्लंघन करने और जमीन पर बनी चारदीवारी को सेना की ताकत का इस्तेमाल करते हुए गिराए जाने पर TASA के जीओसी को आड़े हाथों लिया। अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू अभी केस की फाइल खोले तक नहीं थे तभी सीजेआई एनवी रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा, ‘सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए होते हैं न कि किसी शख्स के अहंकार के लिए जो सोचता है कि उसके पास सशस्त्र बलों की ताकत है।’

बेंच ने कहा, ‘हर अदालत में जमीन पर सेना का दावा खारिज हुआ इसके बाद भी आप (GOC) यह सोचते हैं कि आप सिविलियन को बेदखल करने के लिए सेना भेज सकते हैं। हमें अफसर का नाम बताइए, हम उसे जेल भेजेंगे।’

‘हम क्या बच्चे हैं जो मान लें कि कोई आम आदमी सेना से पंगा लेगा’
इस पर राजू ने सेना की कार्रवाई का यह कहकर बचाव करने की कोशिश की कि सिविलियन की जमीन का सीमांकन नहीं हुआ था इससे सेना को ये लगा कि सिविलियन ने आर्म्ड फोर्सेज की जमीन पर अतिक्रमण किया है। इस पर बेंच ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘क्या आप ये सोचते हैं कि हम बच्चों की तरह हैं जो आपकी ऐसी दलीलों पर यकीन कर लेंगे? क्या कोई आम आदमी सेना की ताकत को चुनौती दे सकता है?’ इसके साथ ही बेंच ने तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील को खारिज कर दिया।

जमीन का विवादों से है पुराना नाता
जिस जमीन की बात हो रही है, उससे जुड़े विवादों का लंबा इतिहास रहा है। TASA का मौजूदा मुख्यालय जिस जमीन पर है, उसे 100 से ज्यादा वर्ष पहले हैदराबाद के निजाम ने सैन्य उद्देश्य से अधिग्रहित किया था। 1971 में सेना ने 9 एकड़ जमीन पर सिविलियंस के अतिक्रमण का दावा करते हुए सिविल सूट दाखिल किया था।

बचाव में सिविलियंस ने दावा किया कि 160 से ज्यादा वर्षों से जमीन पर उनका कब्जा है। सिकंदराबाद ट्रायल कोर्ट ने 11 दिसंबर 2017 को सेना के सिविल सूट को खारिज कर दिया। तेलंगाना हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

ट्रायल कोर्ट ने GOC को सुनाई थी 2 महीने जेल की सजा
ट्रायल कोर्ट के फैसले के बावजूद सेना ने जब जमीन नहीं सौंपा तब सिविलियंस ने आदेश की तामील के लिए फिर ट्रायल कोर्ट का रुख किया। ट्रायल कोर्ट ने फैसले का जानबूझकर पालन नहीं किए जाने को लेकर 27 जनवरी 2021 को जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) और डिफेंस एस्टेट ऑफिसर को 2-2 महीने जेल की सजा सुनाई। इतना ही नहीं, कोर्ट ने आर्मी को आदेश दिया कि उसने जिस चारदीवारी को नुकसान पहुंचाया है, उसकी मरम्मत करे।

आखिरकार जेल जाने से बच गए अफसर
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी जीओसी को कड़ी फटकार लगाई है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सेना के अधिकारियों को जेल भेजे जाने के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि मेजर जनरल को जेल नहीं भेजा जाएगा मगर साथ में कड़ी चेतावनी भी दी। बेंच ने कहा, ‘अगर हम उनके खिलाफ भविष्य में इस तरह की कोई भी शिकायत पाते हैं तो उन्हें जेल जाना होगा।’