नई दिल्ली : कई ऐसे मामले सुनने में आते है, जिसमें कोई मजदूर या गरीब व्यक्ति रातो रात करोड़पति बन जाता है। उसकी लॉटरी लग जाती है। जैकपॉट खुल जाता है। एक ऐसा ही मामला हरियाणा के अंबाला जिले में सामने आया। जिसमें एक चाय वाला करोड़पति बन गया। हालांकि यह चाय वाला नगर निगम की लापरवाही की वजह से करोड़पति बना।
अंबाला चंडीगढ़़ नेशनल हाइवे के किनारे जमीन पर कब्जा
अंबाला के रहने वाला जगदीश लाल को अंबाला चंडीगढ़ नेशनल हाइवे के किनारे बसी हुए 10.5 जमीन की मलकियत मिल गई है। जगदीश के वकील ने कोर्ट में साबित कर दिया कि जगदीश का यहां पर 30 साल से कब्जा है। जिससे फैसला भी जगदीश के पक्ष में गया। नगर निगम के वकील ने यह केस बड़े ही लापरवाह तरीके से लड़ा।
यह है पूरा मामला
अंबाला जयपुर चंडीगढ़ नेशनल हाइवे के किनारे बसे काकरू गांव में काफी सालों पहले पाकिस्तान से आए लोगों के लिए जमीन दी थी। बाद में केंद्र सरकार ने इसको अपने संरक्षण में ले लिया था। इसी गांव की जमीन पर ईट भट्टे चलते थे। इनमें ही एक ईट भट्टा हरीश गुलाटी का था। जिसमें जगदीश लाल काम करता था। साल 2005 में ईट भट्टों को तोड़ दिया गया। भट्टा टूटने के बाद हरीश गुलाटी वहां से चला गया। इसके बाद जगदीश लाल ने पहले वहां पर बस्ती बनाई। फि र पक्का मकान बना दिया।
निगम ने दिया नोटिस तो कर दिया केस
साल 2009 में काकरू गांव को नगर निगम में शामिल कर लिया गया। इस दौरान जगदीश लाल को भी जमीन खाली करने के लिए नोटिस दिया गया, लेकिन जगदीश लाल ने निगम के खिलाफ केस कर दिया। जगदीश के वकील ने जज को उस पते का वोटर कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल सभी चीजे दिखाई। वहीं निगम के वकील ने कोर्ट में यह कह दिया गया कि उस जमीन पर अवैध कब्जा है। इस पर जज ने तुरंत संज्ञान लेते हुए कहा कि मतलब जमीन पर कब्जा है। जमीन खाली नहीं है। ऐसे में यह फैसला जगदीश लाल के पक्ष में सुनाया गया।
यह है जमीन का कलेक्टर रेट
जगदीश लाल की जमीन का कलेक्टर रेट 55 लाख रुपए प्रति एकड़ है। वहीं रिहायशी क्षेत्र में 5500 रुपए प्रति वर्ग गज और कर्मिशयल जगह पर 7200 रुपए प्रतिवर्ग जमीन है। ऐसे में देखा जाए तो रिहायशी की कीमत 2 करोड़ 68 लाख और कर्मिशयल की कीमत 3.66 करोड़ रुपए है।
अब निगम दोबारा से अपील करने की कर रहा तैयारी
अंबाला नगर निगम के डिप्टी निगम आयुक्त अमन ढांढा ने कहा कि निगम कानूनी सलाह लेकर दोबारा से अपनी जमीन को लेकर अपील करेगा। उन्होंने कहा कि जानकारी मिली थी कि निगम ने इस मामले की पैरवी बिल्कुल भी ठीक नहीं की।