हिमाचल का बलशाली पुलिस जवान, रोज 30 अंडे, 900 ग्राम चिकन, हर माह खाने पर 60 हजार…

कहते हैं, प्यार की उम्र नहीं होती….मगर यहां तो जुनून की उम्र नहीं है। हिमाचल पुलिस (Himachal Police) के जवान को 33 साल की उम्र में ‘पावर लिफ्टिंग’ (Powerlifting) से मोहब्बत हो गई। चार साल बाद नतीजा ये है कि सिरमौर पुलिस (Sirmour Police) के माजरा थाना में तैनात कांस्टेबल विक्रमजीत सिंह को हिमाचल पुलिस का बलशाली जवान कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए। पावर लिफ्टिंग (Power Lifting) के दौरान ऐसा जुनून होता है कि नाक से खून तक निकल जाता है। इससे जुड़ा एक वीडियो भी उपलब्ध है।

कांस्टेबल विक्रमजीत की लंबाई 5 फुट 10.5 इंच, जबकि वजन 100 किलो है। पुलिस जवान की डाइट सुनकर आप चकरा जाएंगे। रोजाना, 30 अंडे व 700 से 900 ग्राम चिकन डाइट का हिस्सा है। इसके अलावा 500 ग्राम पपीता, 3 प्लेट सलाद-जूस व सप्लीमेंट अलग हैं। रोटी व दाल भी रोजाना की डाइट का हिस्सा हैं। लाजमी तौर पर आपके जेहन में ये सवाल भी कौंध गया होगा कि वो डाइट पर कितना खर्च करता है। तो आपको बता दें, इस बारे पूछने पर कांस्टेबल विक्रमजीत सिंह सैनी ‘विक्की’ ने बताया कि हर महीने 60 से 65 हजार रुपए डाइट पर ही खर्च होते हैं।

अगला सवाल आपके मन में ये भी तैर रहा होगा, जब पूरी तनख्वाह ही डाइट पर खर्चता है तो घर का खर्चा कैसे चलता है। दरअसल, विक्रमजीत की पारिवारिक पृष्ठभूमि खेतीबाड़ी से जुड़ी हुई है। माता-पिता की इकलौती संतान है। पांवटा साहिब घाटी (Paonta Sahib Valley) नकदी फसलों के लिए मशहूर है। इसके अलावा पत्नी पांवटा साहिब के पुरुवाला में जिम भी चलाती है। पुलिस जवानों को इस जिम में कसरत करने की निशुल्क सुविधा भी हासिल है।

आप ये भी सोच रहे होंगे, पूरा वक्त फिटनेस (fitness) पर ही लगाता है तो ड्यूटी क्या करता होगा। ऐसा भी नहीं है…माजरा पुलिस थाना का मुस्तैद आरक्षी है। पिछले दो सालों में पांवटा साहिब में नशा तस्करी के बड़े मामलों का पर्दाफाश करने में कांस्टेबल विक्रमजीत की अहम भूमिका रही है। अपराधी, सुडौल बाॅडी के कांस्टेबल को सामने देखकर थर-थर कांपने लगते हैं। सुडौल शरीर व फिटनेस के कारण सिरमौर पुलिस की क्यूआरटी का भी आरक्षी विक्रमजीत हिस्सा हैं।

2006 में हिमाचल पुलिस में सेवाएं शुरू करने वाले विक्रमजीत सैनी बताते हैं कि तकरीबन चार साल पहले पावर लिफ्टिंग का जुनून पैदा हो गया था। धीरे-धीरे कठिन परिश्रम शुरू किया। ऑनलाइन कोचिंग (online coaching) भी लेते हैं। राज्य स्तर पर चार स्वर्ण पदक हासिल कर चुके हैं। 14 नवंबर 2022 में राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ था, लेकिन हिमाचल के विधानसभा चुनाव में ड्यूटी को प्राथमिकता दी थी।

वैसे  भी कांस्टेबल विक्रमजीत को पावर लिफ्टिंग में कैरियर (Carrier) बनाने की चाह नहीं है। वो केवल फिटनेस को ही जुनून मानते हैं। पावर लिफ्टिंग की तीन कैटेगरी  में 250 किलो वजन अधिकतम रिकॉर्ड है। डैड लिफ्ट व बैंच प्रैस में क्रमशः 260 व 160 किलो वजन उठा लेते हैं।एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने फोन पर बातचीत में आरक्षी विक्रमजीत से सवाल पूछा….‘अपराधी गोली से डरते हैं, आपको सामने देखकर कैसा महसूस करते हैं’। इसके जवाब में कांस्टेबल का कहना था कि ‘सामने मजबूत पुलिस होती है तो अपराधी का हौसला खुद ब खुद टूटता है। बात पिस्टल की नहीं, बल्कि पुलिस की कद काठी भी अपराधी के सामने मायने रखती है।’

आरक्षी ने कहा कि ड्यूटी को प्राथमिकता देते हैं। उनका ये भी कहना था कि पावर लिफ्टिंग ऐसा शौक है, जिसमें घरबार तक बिक जाते हैं। उन्होंने हर कदम पर सहयोग के लिए शीर्ष अधिकारियों का भी आभार प्रकट किया।