हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में सामान्य आयोग को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया जिसके विरोध में बुधवार को देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सुबह तारा देवी से शिमला तक पैदल मार्च कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.वहीं, पुलिस कर्मियों द्वारा रोके जाने पर उन पर पथराव भी किया जिसके कारण शिमला एएसपी के साथ कुछ पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटे आई है. जिन्हें उपचार के लिए आईजीएमसी लाया गया है. वहीं शिमला के आईएसबीटी से क्रॉसिंग को पूरी तरह सील कर दिया है. क्रॉसिंग में बेरिकेट्स लगाए गए है ताकि प्रदर्शनकारी शहर में प्रवेश न कर सके.
शिमला: हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में सामान्य आयोग को लेकर बिल नहीं लाया (Devbhoomi Kshatriya Organization) गया. जिसके विरोध में बुधवार को देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सुबह तारा देवी से शिमला तक पैदल मार्च शुरू (Devbhoomi Kshatriya Organization Protest in Shimla) किया. पैदल मार्च के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा शोघी में रोके जाने पर प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए पुलिस पर पथराव (Clash between police and Devbhoomi Organization) किया. पथराव के कारण कई शिमला एएसपी के साथ कुछ पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटे आई है. जिन्हें उपचार के लिए आईजीएमसी लाया गया है.
जगह-जगह तैनात किए गए पुलिस कर्मी- पुलिस कर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए शिमला के आईएसबीटी से क्रॉसिंग को पूरी तरह सील कर दिया (Devbhoomi Kshatriya Organization Rally) है. प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश से रोकने के लिए जगह-जगह बेरिकेट्स लगाए गए है. सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स लगा दी गई है ताकि धारा 144 का पालन किया जा सके. देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदर्शन के कारण शहर में ट्रैफिक की स्थिति से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है.
संगठन ने चक्का जाम की दी थी चेतावनी- आपको बता दें कि देवभूमि क्षत्रिय संगठन ने सवर्ण आयोग बनाने की मांग को लेकर पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर बजट सत्र में इससे संबंधित कोई प्रावधान नहीं किया गया तो 16 मार्च को चक्का जाम करेंगे. इसी के चलते पुलिस ने पहले ही शहर में धारा 144 लगा दी थी. हालांकि पूरे प्रदेश से संगठन से जुड़े लोग शिमला पहुंच रहे हैं.
धर्मशाला में हुआ था जोरदार प्रदर्शन- धर्मशाला में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सवर्ण समाज (power of upper caste commission) के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया. इस समाज के लोगों का आरोप था कि हिमाचल में किसी भी सरकार ने सामान्य वर्ग की सुध नहीं ली है, जबकि हिमाचल की 50 फीसदी आबादी इस वर्ग से संबंधित है. विधानसभा उपचुनाव से पूर्व कुनिहार में इस समाज से जुड़े लोगों ने नाराजगी के तौर पर नोटा का बटन भी दबाया. बड़ी संख्या में नोटा का बटन दबने से न केवल भाजपा सरकार बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस भी सियासी चिंता में पड़ गई थी.
सीएम ने की थी सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा- धर्मशाला में सवर्ण आयोग के गठन की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की थी, लेकिन कई माह बीत जाने के बाद आयोग की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी, जिसको लेकर एक बार फिर देवभूमि छत्रिय संगठन एक बार फिर सड़कों पर है.
हिमाचल की राजनीति में सवर्ण समाज का दबदबा- हिमाचल की राजनीति में सवर्ण समाज (upper caste commission in himachal) का ही दबदबा रहा है. इसमें भी राजपूत हावी रहे हैं. हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक राजपूत समुदाय से आते हैं. हिमाचल में केवल शांता कुमार ही ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री रहे हैं. वहीं, हिमाचल में दलित वर्ग का कोई राजनेता मुख्यमंत्री पद तक नहीं पहुंचा है. अलबत्ता विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री जरूर दलित वर्ग से बनते रहे हैं. भाजपा ने पहली बार एक दलित नेता के हाथ हिमाचल में पार्टी की कमान सौंपी है.
हिमाचल के जातिगत आंकड़ें- यदि पूर्व की जनगणना को देखें तो हिमाचल प्रदेश की आबादी 68 लाख 56 हजार 509 है. इस आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 25.22 फीसदी है. कुल आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 17 लाख 29 हजार 252 है. इसी तरह एसटी 3 लाख 92 हजार 126 (5.71 परसेंट) ओबीसी 9 लाख 27 हजार 452 (13.52 प्रतिशत) स्वर्ण 50.72 प्रतिशत और अल्पसंख्यक 4.83 प्रतिशत हैं.