हिमाचल: पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद के इस्तीफे से विस चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी

आनंद शर्मा लंबे समय से हिमाचल कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से खासे नाराज थे। यह नाराजगी इस कद्र बढ़ी कि उन्हें समिति का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के इस्तीफे से प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में हलचल पैदा हो गई है। कांग्रेस नेताओं को चिंता सताने लगी है कि विधानसभा चुनाव से पहले आनंद शर्मा की नाराजगी भी कांग्रेस के चुनाव प्रचार में बाधा बन सकती है। सत्तारूढ़ भाजपा को इससे एक और मुद्दा मिल जाएगा। प्रदेश कांग्रेस को दो विधायकों पवन काजल और लखविंद्र राणा ने भाजपा में जाकर पहला झटका दिया है। अब आनंद शर्मा के इस्तीफे से कांग्रेस में फिर हड़कंप है। इससे कांग्रेस में खेमेबंदी बढ़ेगी।

आनंद ने प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। वह प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम हैं। उनकी केंद्रीय नेतृत्व में खूब पकड़ रही है। हालांकि, जी 23 में नाम जुड़ने के बाद से वह बैकफुट पर हैं। यह कांग्रेस के लिए चुनाव से पहले शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता है।
आनंद शर्मा लंबे समय से हिमाचल कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से खासे नाराज थे। यह नाराजगी इस कद्र बढ़ी कि उन्हें समिति का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। शर्मा के करीबी एक विधायक कहते हैं कि प्रदेश की राजनीति में उनका खूब दखल रहा है।

यही कारण है कि उनका अपना बड़ा वोट बैंक है। प्रदेश के विकास में उनकी भूमिका रही है। शिमला में पासपोर्ट कार्यालय उनके मंत्री रहते खुला था। इससे पहले चंडीगढ़ से पासपोर्ट बनाने पड़ते थे। विकास के कई अन्य प्रोजेक्टों में योगदान दिया गया है।

आनंद समर्थक कहते हैं कि विस चुनाव से पहले इस तरह का घटनाक्रम कांग्रेस के वोट बैंक के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यह भी कहा जाने लगा है कि हाईकमान को पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद की नाराजगी को दूर कर मामला सुलझाया जाए। कई समर्थक कह रहे हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला से भी ज्यादा खुश नहीं हैं।

अभी तक पार्टी की अन्य कमेटियों की बैठकें बुलाई जा चुकी हैं और प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति की एक बैठक नहीं बुलाई। पूर्व केंद्रीय मंत्री के कट्टर समर्थक और पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे घटनाक्रम अच्छे संकेत नहीं हैं।