14 मार्च से शुरू हो रहे प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार अपना पहला बजट पेश करने जा रही है। लेकिन सूबे में संस्थानों को डि-नोटिफाई करने को लेकर भाजपा के आक्रामक रुख के चलते विधानसभा का बजट सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंडी दौरे के दौरान सोमवार को मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि प्रदेश में डि- नोटिफाई किए संस्थानों का मुद्दा निश्चित रूप से विधानसभा सत्र में उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा जनहित का मुद्दा है। इस मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधानसभा के बाहर व अंदर दोनों जगह उठाया जाएगा। इसको लेकर शिमला में प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। भाजपा के हस्ताक्षर अभियान के तहत इकट्ठा किए गए लोगों के लाखों हस्ताक्षर करवा राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में संस्थानों को डि-नोटिफाई करने के बाद असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। जहां इस प्रकार की परिस्थितियों से सरकार को अपने तीसरे या चौथे वर्ष में गुजरना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश में 3 माह में ही परिस्थितियां बिगड़ चुकी हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि डी-नोटिफिकेशन को लेकर प्रदेश की जनता में रोष आक्रोश है और सड़कों पर उतर कर लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आक्रोश रैलियों के माध्यम से लोग अपने आप पहुंच कर अपना रोष व्यक्त कर रहे हैं। लोगों के गुस्से का अंदाजा मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिला में भाजपा की हुई आक्रोश रैलियों में इकट्ठा हुए जनसमूह से लगाया जा सकता है। ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर पूछे सवाल पर जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाली की गारंटी दी गई थी। लेकिन आज कांग्रेस सत्ता में आने के बाद अपने वादे से मुकर रही है।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हर कैबिनेट में ऑफिस को लेकर बात की जा रही है। लेकिन कर्मचारियों को ओपीएस कब और कैसे मिलेगी इसके बारे में आज तक सरकार नहीं बता पाई है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांग ओपीएस है, इसमें कर्मचारी किसी भी तरह हेर-फेर नहीं चाहते हैं। सरकार कर्मचारियों की मांग को लेकर अभी तक ओपीएस नहीं दे पाई है।