हिमाचल में अध्यापकों के अभाव से बच्चों की चित्रकला की प्रतिभा दम तोड़ रही है | यह जानकारी फाइन आर्ट काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने मीडिया को दी | उन्होंने बताया कि हिमाचल में विद्यार्थी जिसकी रुचि चित्र कला में है अगर उसे सही समय पर ड्रॉइंग शिक्षक का मार्ग दर्शन मिल जाए तो वह एक अच्छा कलाकार बन सकता है | लेकिन ज़्यादा तर स्कूलों में ड्रॉइंग शिक्षक नहीं है जिसके चलते बच्चों की कला पनपने से पहले ही खत्म हो रही है यही कारण है कि जो चित्रकारी आज से कुछ वर्षों पहले स्कूलों में दिखाई देती थी वह आज देखने को नहीं मिलती है | चित्रकला किसी भी विद्यार्थी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि चित्रकला विद्यार्थियों के विचारों को पंख लगा देती है | लेकिन अध्यापकों के अभाव ने उसके पंख ही काट दिए हैं जिसके चलते विद्यार्थी आज मोबाईल की दुनिया में खो कर रंगों का अहसास करना भी भूल चुका है |
अधिक जानकारी देते हुए फाइन आर्ट कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने बताया कि हिमाचल में जिन स्कूलों की संख्या 100 से कम है उन स्कूलों में ड्राइंग का शिक्षक नहीं है | वहां शारीरिक शिक्षक या शास्त्री शिक्षक पर ही विद्यार्थियों को ड्राइंग सिखाने की जिम्मेवारी है | जिस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें ड्रॉईंग सिखाने का स्तर क्या होगा | उन्होंने कहा कि वह चाहते है कि सभी स्कूलों में ड्राइंग के अध्यापक हों ताकि जो विद्यार्थी चित्रकला में रुचि रखता है उसे बेहतर मार्गदर्शन मिले और वह कला के क्षेत्र में आगे चल कर अपना भविष्य बना सकें | उन्होंने कहा कि फाइन आर्ट कौंसिल कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस बारे में अवगत करवा चुकी है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है जिसके चलते कला का फूल कली बनने से पहले ही मुर्झा रहा है
2020-11-03